हरियाणा विधानसभा में महिलाएँ | 23 Sep 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों ने राजनीतिक प्रतिनिधित्व में लगातार लैंगिक असमानता को उजागर किया, जो राज्य के ऐतिहासिक लैंगिक असंतुलन को दर्शाता है

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा की राजनीति में महिलाएँ:
    • वर्ष 1966 में हरियाणा के गठन के बाद से केवल 87 महिलाएँ विधानसभा के लिये चुनी गई हैं।
    • राज्य में कभी भी कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं रही।
    • हरियाणा का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 916 महिलाओं (2023) पर बना हुआ है।
    • वर्ष 2000 से अब तक हरियाणा में 47 महिला विधायक चुनी गई हैं।
    • वर्ष 2014 में 13 महिलाओं ने सीटें जीतीं, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। वर्ष 2019 में यह संख्या घटकर 9 रह गई।
  • महिलाओं के लिये 33% आरक्षण: संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने वाला विधेयक हाल ही में पारित हुआ, जो वर्ष 2029 से प्रभावी होगा।
  • वर्ष 2024 में चुनाव लड़ने वाली उल्लेखनीय महिलाएँ:
    • आरती सिंह राव : केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी, अटेली से चुनाव लड़ रही हैं।
    • श्रुति चौधरी: पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती, तोशाम से चुनाव लड़ रही हैं।
    • गीता भुक्कल : चार बार विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री।
    • विनेश फोगाट: कुश्ती आइकन, जुलाना से चुनाव लड़ रही हैं।
    • सावित्री जिंदल: एशिया की सबसे अमीर महिला, हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।
    • चित्रा सरवारा: कॉन्ग्रेस से टिकट न मिलने पर अंबाला छावनी से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।

महिला आरक्षण अधिनियम, 2023

  • संविधान (106वाँ संशोधन) अधिनियम, 2023 , लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है , जिनमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित सीटें भी शामिल हैं।
  • यह आरक्षण अधिनियम के लागू होने के बाद आयोजित जनगणना के प्रकाशन के बाद प्रभावी होगा तथा 15 वर्ष की अवधि तक लागू रहेगा, जिसका संभावित विस्तार संसदीय कार्यवाही द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
  • महिलाओं के लिये आवंटित सीटों का रोटेशन प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद संसदीय कानून द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
    • वर्तमान में, 17वीं लोकसभा (2019-2024) के कुल सदस्यों में से लगभग 15% महिलाएँ हैं , जबकि राज्य विधानसभाओं में महिलाएँ औसतन कुल सदस्यों का 9% हैं।