बिहार
वीर कुंवर सिंह विजय दिवस
- 25 Apr 2025
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
बाबू वीर कुँवर सिंह के विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत बिहार के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- कुंवर सिंह के बारे में:
- वीर कुँवर सिंह का जन्म वर्ष 1777 में जगदीशपुर (वर्तमान भोजपुर ज़िला, बिहार) में हुआ था। वह जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जैनिया कबीले के परिवार से थे।
- वह बिहार में अंग्रज़ो के खिलाफ लड़ाई के मुख्य महानायक थे। उन्होंने बिहार में वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया। वह तब लगभग 80 वर्ष के थे जब उन्हें हथियार उठाने के लिये बुलाया गया और उनका स्वास्थ्य भी खराब था।
- उनके भाई, बाबू अमर सिंह और उनके सेनापति, हरे कृष्ण सिंह दोनों ने उनकी सहायता की थी। कुछ लोगों का मानना है कि कुंवर सिंह की प्रारंभिक सैन्य सफलता के पीछे का असली कारण यही था।
- उन्होंने बेहतरीन युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया और लगभग एक साल तक ब्रिटिश सेना को परेशान किया तथा अंत तक अजेय रहे। वह गुरिल्ला युद्ध कला के विशेषज्ञ थे।
- 26 अप्रैल, 1858 को उनका निधन हो गया।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिये 23 अप्रैल 1966 को भारत गणराज्य द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।
- वर्ष 1992 में बिहार सरकार द्वारा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा की स्थापना की गई।
- वर्ष 2017 में वीर कुंवर सिंह सेतु, जिसे आरा-छपरा ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, का उद्घाटन उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने के लिये किया गया था।
- वर्ष 2018 में कुंवर सिंह की मृत्यु की 160वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये बिहार सरकार ने उनकी एक प्रतिमा को हार्डिंग पार्क में स्थानांतरित कर दिया था। पार्क को आधिकारिक तौर पर 'वीर कुंवर सिंह आज़ादी पार्क' का नाम भी दिया गया था।
1857 का विद्रोह
- यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संगठित प्रतिरोध की पहली अभिव्यक्ति थी।
- यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के सिपाहियों के विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जनता की भागीदारी भी इसने हासिल कर ली।
- विद्रोह को कई नामों से जाना जाता है: सिपाही विद्रोह (ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा), भारतीय विद्रोह, महान विद्रोह (भारतीय इतिहासकारों द्वारा), 1857 का विद्रोह, भारतीय विद्रोह और स्वतंत्रता का पहला युद्ध (विनायक दामोदर सावरकर द्वारा)।