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उत्तराखंड

उत्तराखंड में दसवीं कक्षा के छात्रों के लिये 10 विषय अनिवार्य होंगे

  • 15 Jan 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

उत्तराखंड राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार किये गए एक मसौदे में प्रस्ताव दिया गया है कि कक्षा 10 के विद्यार्थियों को वर्तमान में पाँच विषयों के स्थान पर 10 अनिवार्य विषय पढ़ने होंगे।

मुख्य बिंदु

  • राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने राज्य पाठ्यक्रम ढाँचे का मसौदा तैयार किया है, जिसका उद्देश्य शैक्षिक मानकों को बढ़ाना और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिये बेहतर ढंग से तैयार करना है। 
  • नया पाठ्यक्रम 1986 की NEP के बाद पहला बड़ा कार्यान्वयन है, जो 1968 की नीति का उत्तराधिकारी था। 
  • विभिन्न समितियों के माध्यम से तैयार किये गए राज्य पाठ्यक्रम ढाँचे के मसौदे की राज्य सरकार द्वारा समीक्षा की जाएगी। 
  • इसमें केवल वे विषय शामिल हैं जिनकी अनुशंसा NEP द्वारा की गई है।
  • सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को ये विषय लेना अनिवार्य होगा। उन्हें 11वीं कक्षा से ही विषय बदलने का विकल्प मिलेगा।
  • इस नीति के तहत नए विषयों को शामिल करने से छात्रों में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा मिलेगा। इनमें ब्यूटी एंड वेलनेस, ड्रोन टेक्नोलॉजी और विभिन्न IT से संबंधी कार्यक्रम शामिल होंगे। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

  • परिचय:
    • इससे पहले दो शिक्षा नीतियाँ 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
      • NEP 2020 का लक्ष्य "भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना" है। यह स्वतंत्रता के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में तीसरा बड़ा बदलाव है।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • पूर्व-प्राथमिक स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • 3-6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करना।
    • नया पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना (5+3+3+4) क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष के आयु समूहों के अनुरूप है।
      • इसमें स्कूली शिक्षा के चार चरण शामिल हैं: आधारभूत चरण (5 वर्ष), प्रारंभिक चरण (3 वर्ष), मध्य चरण (3 वर्ष) और माध्यमिक चरण (4 वर्ष)।
    • कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम और पाठ्येतर गतिविधियों, तथा व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई स्पष्ट विभाजन नहीं है;
    • भारतीय भाषाओं और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर ज़ोर,
    • एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, PARAKH (प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना
    • वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये एक अलग लिंग समावेशन निधि और विशेष शिक्षा क्षेत्र।

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