सतत् विकास लक्ष्य 2023-24 में उत्तराखंड देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया | 16 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग द्वारा जारी सतत् विकास लक्ष्य (SDG इंडेक्स) 2023-2024 रिपोर्ट में उत्तराखंड ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अनुसार, राज्य सरकार पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाकर 'विकसित उत्तराखंड' की ओर बढ़ने के लिये प्रतिबद्ध है।
- SDG इंडिया इंडेक्स नीति आयोग द्वारा विकसित एक उपकरण है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित SDG के प्रति भारत की प्रगति को मापने और ट्रैक करने के लिये है।
- यह सूचकांक सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण का समर्थन करता है तथा राज्यों को इन लक्ष्यों को अपनी विकास योजनाओं में एकीकृत करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- यह नीति निर्माताओं के लिये अंतराल की पहचान करने तथा वर्ष 2030 तक सतत् विकास प्राप्त करने की दिशा में कार्यों को प्राथमिकता देने हेतु एक मानक के रूप में कार्य करता है।
- भारत का समग्र SDG स्कोर वर्ष 2023-24 में 71 हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 66 और वर्ष 2018 में 57 था। सभी राज्यों ने समग्र स्कोर में सुधार दिखाया है।
- प्रगति मुख्यतः गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास और जलवायु कार्रवाई में लक्षित सरकारी हस्तक्षेपों से प्रेरित हुई है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: केरल और उत्तराखंड सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य बनकर उभरे, जिनमें से प्रत्येक ने 79 अंक प्राप्त किये।
- सबसे कम प्रदर्शन: बिहार 57 अंकों के साथ सबसे पीछे रहा, उसके बाद झारखंड 62 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
- अग्रणी राज्य: 32 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश (UT) अग्रणी श्रेणी में हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश सहित 10 नए राज्य शामिल हैं।
नीति आयोग
- भारत में योजना आयोग को वर्ष 2015 में नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिसमें 'बॉटम अप' अप्रोच की ओर बदलाव किया गया तथा सहकारी संघवाद पर ज़ोर दिया गया।
- नीति आयोग की संरचना में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल तथा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित विशेषज्ञ शामिल हैं।
- प्रधानमंत्री द्वारा एक विशिष्ट अवधि के लिये नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जो भारत सरकार के सचिव के पद पर होता है।
- मुख्य उद्देश्य हैं- राज्यों के साथ सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, ग्राम स्तर पर योजनाएँ विकसित करना, आर्थिक रणनीति में राष्ट्रीय सुरक्षा को शामिल करना, समाज के हाशिये पर आए वर्गों पर ध्यान केंद्रित करना, हितधारकों और थिंक टैंकों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करना, ज्ञान तथा नवाचार हेतु एक समर्थन प्रणाली बनाना, अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों का समाधान करना एवं सुशासन व सतत् विकास प्रथाओं के लिये एक संसाधन केंद्र बनाए रखना।