जीआई टैगिंग में उत्तर प्रदेश प्रथम | 18 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री ने अपने वाराणसी दौरे के दौरान उत्तर प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रमाण-पत्र प्रदान किये।

मुख्य बिंदु

GI प्रमाण-पत्र प्राप्त उत्पाद:

  • वाराणसी  
    • बनारसी तबला, बनारसी भरवा मिर्च, शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा।
  • बरेली  
    • बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी, टेराकोटा
  • मथुरा 
    • मथुरा की सांझी क्राफ्ट,
  • अन्य ज़िलों के उत्पाद  
    • बुंदेलखंड का काठिया गेहूँ, 
    • पीलीभीत की बाँसुरी, 
    • चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, 
    • आगरा का स्टोन इनले वर्क 
    • जौनपुर की इमरती।
  • उत्तर प्रदेश अब 77 GI टैग के साथ भारत का शीर्ष राज्य बन गया है।
  • काशी क्षेत्र के अकेले 32 GI टैग प्राप्त उत्पाद हैं, जिससे यह दुनिया के GI हब में शामिल हो गया है।

महत्त्व:

  • कानूनी संरक्षण मिलने से नकली उत्पादों पर रोक लगेगी और मौलिक उत्पादकों की बाज़ार में विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • आर्थिक दृष्टि से, GI टैग से उत्पादों की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्थानीय स्तर पर रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे।

भौगोलिक संकेत (GI) टैग

  • भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
  • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
  • यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
    • एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
  • GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।

विधिक ढाँचा: