झाबुआ में बाघ ST-2303 | 28 Aug 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बाघ ST-2303 सरिस्का टाइगर रिज़र्व से निकल कर हरियाणा के रेवाड़ी के झाबुआ के घने वनों में पहुँच गया है।

मुख्य बिंदु

  • नीलगाय और जंगली सूअर जैसे शिकार से समृद्ध झाबुआ वन, बाघ को प्रचुर मात्रा में भोजन का स्रोत तथा घना आवरण प्रदान करता है, जिससे वन अधिकारियों के लिये उसे पकड़ना या स्थानांतरित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
    • गाँवों के निकट बाघ की उपस्थिति से सुरक्षा संबंधी चिंताएँ तथा संभावित मानव-वन्यजीव संघर्ष का भय उत्पन्न हो गया है।
    • वन अधिकारी बाघ को सुरक्षित रूप से सरिस्का वापस लाने के लिये राजस्थान स्थित अपने समकक्षों के साथ समन्वय कर रहे हैं।

  • सरिस्का टाइगर फाउंडेशन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से बाघों की उनके मूल पर्यावास में वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, क्योंकि अन्य रिज़र्व में उनके स्थानांतरण की संभावना है।

  • यह घटना भविष्य में बाघों के प्रवास के लिये सरिस्का और हरियाणा अरावली के बीच वन्यजीव गलियारों के संरक्षण के महत्त्व को उजागर करती है।

सरिस्का टाइगर रिज़र्व

  • सरिस्का टाइगर रिज़र्व अरावली पहाड़ियों में स्थित है और राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
  • इसे वर्ष 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया तथा बाद में वर्ष 1978 में इसे टाइगर रिज़र्व  घोषित कर दिया गया, जिससे यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
  • इसमें खंडहर मंदिर, किले, मंडप और एक महल शामिल हैं।
  • कंकरवाड़ी किला रिज़र्व के केंद्र में स्थित है।
  • ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने गद्दी के उत्तराधिकार के संघर्ष में अपने भाई दारा शिकोह को इसी किले में कैद किया था।