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उत्तराखंड

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण

  • 29 Jul 2024
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा और भूस्खलन के मद्देनज़र अधिकारियों को तत्काल "संवेदनशील" गाँवों की पहचान करने और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • अधिकारियों के मुताबिक, पौड़ी गढ़वाल के तोली, बोध केदार और टिहरी गढ़वाल के जखाना तथा तिनगढ़ में बादल फटने से भारी तबाही हुई।
  • आपदा प्रभावित क्षेत्र में विद्युत एवं पेयजल व्यवस्था सुचारु करने के लिये कार्यवाही की जा रही है तथा पशु हानि के लिये पशुधन पालकों को 57,500 रुपए की धनराशि भी दी गई है।

बादल फटना

  • परिचय:
    • बादल फटना एक छोटे से क्षेत्र में अल्पकालिक, तीव्र वर्षा की घटनाएँ हैं
    • यह एक मौसमी घटना है जिसमें लगभग 20-30 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मि.मी./घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा होती है
    • भारतीय उपमहाद्वीप में यह आमतौर पर तब होता है जब मानसून का बादल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से उत्तर की ओर मैदानी इलाकों से होते हुए हिमालय की ओर बढ़ता है और कभी-कभी प्रति घंटे 75 मिलीमीटर वर्षा लाता है।
  • घटना:
    • सापेक्ष आर्द्रता और बादल आवरण अधिकतम स्तर पर होता है, तापमान कम होता है तथा हवाएँ धीमी होती हैं, जिसके कारण बहुत अधिक मात्रा में बादल बहुत तेज़ी से संघनित हो सकते हैं एवं बादल फटने का कारण बन सकते हैं
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वातावरण में अधिक से अधिक नमी बनी रहती है और यह नमी बहुत कम समय के लिये बहुत तीव्र वर्षा के रूप में नीचे आती है, जो शायद आधे घंटे या एक घंटे की होती है, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ी क्षेत्रों एवं शहरों में बाढ़ आती है।

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