झारखंड में जल जीवन मिशन की स्थिति | 11 Feb 2025

चर्चा में क्यों? 

झारखंड में जल जीवन मिशन (JJM) आठ जिलों में बाधित हो गया है, जिससे हज़ारों परिवार प्रभावित हो रहे हैं।

प्रमुख बिंदु

  • JJM के तहत 'हर घर नल जल' योजना, जिसका उद्देश्य हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है, पिछले दो महीनों से पाकुड़, साहिबगंज, धनबाद, दुमका, गढ़वा, गुमला, लातेहार और सिमडेगा में रुकी हुई है।  
  • इस निलंबन के पीछे मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा धनराशि जारी न करना है, जिसके कारण ठेकेदारों को बकाया भुगतान न होने के कारण काम बंद करना पड़ रहा है। 
    • झारखंड सरकार ने मिशन की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और इसमें तेज़ी लाने के लिये केंद्र सरकार से  6,324 करोड़ रुपए की धनराशि का अनुरोध किया है।
  • वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन ने दिसंबर 2024 तक झारखंड में  62,55,717 घरों में नल का जल कनेक्शन उपलब्ध कराने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
    • हालाँकि, अब तक केवल 34,19,100 घरों को ही कनेक्शन मिले हैं, जो लक्ष्य का  केवल 54.66% ही है।
  • यह आँकड़ा राष्ट्रीय औसत 79.79% से काफी नीचे है, जिससे लगभग 45% घरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 
  • झारखंड सरकार अब केंद्रीय प्राधिकारियों से आग्रह कर रही है कि मिशन को पुनर्जीवित करने के लिये  लंबित धनराशि शीघ्र जारी की जाए।

जल जीवन मिशन (JJM)

  • शुरुआत:
  • उद्देश्य:
    • यह मिशन मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों और जल कनेक्शनों की कार्यशीलता, जल गुणवत्ता की निगरानी और परीक्षण के साथ-साथ टिकाऊ कृषि को सुनिश्चित करता है।
    • यह संरक्षित जल का संयुक्त उपयोग, पेयजल स्रोत संवर्धन, पेयजल आपूर्ति प्रणाली, ग्रे जल उपचार और इसका पुनः उपयोग भी सुनिश्चित करता है।
  • विशेषताएँ:
  • कार्यान्वयन:
    •  जल समितियाँ गाँव की जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाती हैं, उनका क्रियान्वयन करती हैं, प्रबंधन करती हैं, संचालन करती हैं और रखरखाव करती हैं।
    • इनमें 10-15 सदस्य होते हैं, जिनमें कम से कम 50% महिला सदस्य और स्वयं सहायता समूह, मान्यता प्राप्त सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी शिक्षक आदि से अन्य सदस्य होते हैं।
    • समितियाँ गाँव के सभी उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक बारगी ग्राम कार्य योजना तैयार करती हैं। क्रियान्वयन से पहले योजना को ग्रामसभा में मंजूरी दी जाती है।
  • वित्तपोषण पैटर्न:
    • केंद्र और राज्यों के बीच निधि बँटवारे का पैटर्न हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100% है।