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बिहार

विशेष दर्जा

  • 08 Jun 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

आम चुनावों के बाद, जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी केंद्र में सरकार गठन में प्रभावशाली पार्टी के रूप में उभरी हैं।

  • बिहार और आंध्र प्रदेश के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा हासिल करने पर उनके नए ज़ोर ने इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा को फिर से शुरू कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • विशेष श्रेणी का दर्जा केंद्र सरकार द्वारा भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे राज्यों के विकास में सहायता के लिये प्रदान किया गया वर्गीकरण है।
    • वर्तमान में भारत में 11 राज्य SCS से युक्त हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा तथा उत्तराखंड शामिल हैं।
  • विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को अधिक वित्तपोषण जैसे लाभ प्रदान करता है, जिसमें केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिये 90% धनराशि केंद्र द्वारा प्रदान की जाती है।
    • ये राज्य एक वित्तीय वर्ष से अगले वित्तीय वर्ष तक अप्रयुक्त निधियों को आगे बढ़ा सकते हैं और कर रियायतों का लाभ उठा सकते हैं। इन्हें केंद्र के सकल बजट से 30% तक अधिक आवंटन भी मिलता है।

विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status- SCS)

  • संविधान SCS के लिये प्रावधान नहीं करता है और यह वर्गीकरण बाद में वर्ष 1969 में पाँचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
  • पहली बार वर्ष 1969 में जम्मू-कश्मीर, असम और नगालैंड को यह दर्जा दिया गया था
  • पूर्व में योजना आयोग की राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा योजना के तहत सहायता के लिये SCS प्रदान किया गया था।
  • SCS, विशेष स्थिति से अलग है जो बढ़े हुए विधायी और राजनीतिक अधिकार प्रदान करती है, जबकि विशेष श्रेणी का दर्जा (SCS) केवल आर्थिक तथा वित्तीय पहलुओं से संबंधित है।
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