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राजस्थान

किसान सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कल्याणकारी पहल

  • 18 Dec 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, राजस्थान के मुख्यमंत्री ने किसान सम्मान निधि की दूसरी किस्त के रूप में 70 लाख से अधिक किसानों के बैंक खातों में 700 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये तथा 3.25 लाख पशुपालकों को 5 रुपए प्रति लीटर दूध की सहायता के रूप में 200 करोड़ रुपए जमा किये।

मुख्य बिंदु

  • किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण:
  • प्रगतिशील किसानों को मान्यता:
    • मुख्यमंत्री ने केंद्र प्रायोजित ATMA योजना के तहत 10 नवोन्मेषी किसानों को सम्मानित किया।
  • कृषि में निवेश:
  • किसान कल्याण हेतु प्रमुख निर्णय:
    • 30 लाख किसानों को 20,000 करोड़ रुपए के अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण।
    • आठ लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये।
    • 26,000 सौर संयंत्रों की स्थापना।
    • 31 स्थानों पर फूड पार्कों के लिये भूमि का आवंटन।
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूँ, मूँग, मूँगफली और सरसों की खरीद।
  • नई योजनाओं का शुभारंभ:
    • पशुधन बीमा योजना शुरू की गई।
    • ऊँट संरक्षण एवं विकास मिशन की घोषणा की गई।
    • 100 गौशालाओं में गोबर जलाने वाली मशीनें लगाने का कार्य आरंभ किया गया।
    • 1,000 नये दूध संग्रहण केंद्रों का शुभारंभ किया गया तथा 200 नये बल्क मिल्क कूलर स्थापित किये गये।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)

  • परिचय:
    • इसे भूमिधारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये 24 फरवरी, 2019 को लॉन्च किया गया था।
  • वित्तीय लाभ:
    • देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से हर चार महीने में तीन बराबर किस्तों में 6000 रुपए प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता हस्तांतरित की जाती है।
  • योजना का दायरा:
    • यह योजना शुरू में 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटे और सीमांत किसानों (SMF) के लिये थी, लेकिन योजना का दायरा बढ़ाकर सभी भूमिधारक किसानों को इसमें शामिल कर लिया गया।
  • वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
    • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका 100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
    • इसका क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • उद्देश्य:
    • प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य और उपयुक्त उपज सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न इनपुट प्राप्त करने में छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना।
    • उन्हें ऐसे व्यय को पूरा करने के लिये साहूकारों के चंगुल में फँसने से बचाना तथा कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।


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