राजस्थान
प्रधानमंत्री ने राजस्थान में परियोजनाओं का उद्घाटन किया
- 18 Dec 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने राजस्थान में 46,300 करोड़ रुपए से अधिक लागत की 24 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
- परियोजनाएँ ऊर्जा, सड़क, रेलवे और जल संसाधनों सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तारित हैं।
मुख्य बिंदु
- पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना:
- यह एक अंतर-राज्यीय नदी जोड़ो पहल है, जिसे मध्य प्रदेश में चंबल नदी से पार्वती, नेवज और कालीसिंध नदियों के अधिशेष जल को राजस्थान में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) तक ले जाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस एकीकरण का उद्देश्य संबंधित राज्यों के बीच जल बंटवारे, लागत-लाभ वितरण और जल विनिमय जैसे मुद्दों का समाधान करना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य राजस्थान के 21 ज़िलों को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराना है।
- इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों में विकास को बढ़ावा मिलने की आशा है।
- परियोजना में शामिल नदियाँ:
- चंबल नदी:
- उद्गम: सिंगार चौरी चोटी, विंध्य पर्वत, इंदौर, मध्य प्रदेश।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, क्षिप्रा, पार्वती।
- पार्वती नदी:
- उद्गम: विंध्य रेंज, सीहोर ज़िला, मध्य प्रदेश।
- महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: कोई नहीं।
- कालीसिंध नदी:
- उद्गम स्थल: बागली, देवास ज़िला, मध्य प्रदेश।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: परवन, नेवज, आहू।
- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP):
- राज्य सरकार ने जल संबंधी समस्याओं के समाधान के लिये ERCP को मंज़ूरी प्रदान की और उसका विस्तार किया।
- पूर्वी राजस्थान के 13 ज़िलों में पेयजल एवं सिंचाई जल की समस्या के स्थायी समाधान के रूप में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 के राज्य बजट में महत्वाकांक्षी पेयजल एवं सिंचाई जल परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) की घोषणा की गई थी।
- इन ज़िलों में झालावाड़, बारां, कोटा बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर शामिल थे।
- ERCP का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान की नदियों जैसे चंबल और उसकी सहायक नदियों, जैसे कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध, में वर्षा के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का संचयन करना तथा इस जल का उपयोग राज्य के दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है, जहाँ पीने और सिंचाई के लिये जल की कमी है।
- ERCP की योजना वर्ष 2051 तक दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मनुष्यों और पशुपालन के लिये पेयजल और औद्योगिक जल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बनाई गई है।
चंबल नदी
- परिचय:
- यह विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) की उत्तरी ढलानों में सिंगार चौरी चोटी से निकलती है। वहाँ से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किलोमीटर की लंबाई तक बहती है और फिर राजस्थान से होकर 225 किलोमीटर की लंबाई तक उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
- यह नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और इटावा ज़िले में यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 32 किमी. तक बहती है।
- यह एक मानसूनी नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और इसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र को जल प्रदान करती हैं।
- राजस्थान में हाड़ौती पठार मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है।
- यह विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) की उत्तरी ढलानों में सिंगार चौरी चोटी से निकलती है। वहाँ से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किलोमीटर की लंबाई तक बहती है और फिर राजस्थान से होकर 225 किलोमीटर की लंबाई तक उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, सिप्रा, पारबती, आदि।
- मुख्य विद्युत परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है। यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल (कछुए) और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।