प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण | 07 Mar 2025

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत तीन लाख परिवारों के लिये प्रथम किस्त के रूप में 1,200 करोड़ रुपए की सहायता राशि ट्रांसफर की। 

मुख्य बिंदु

  • इन लाभार्थियों को अगले सौ दिनों में दूसरी एवं तीसरी किस्त के रूप में और 80 हज़ार रुपए दिये जाएंगे। 
  • इसके अलावा, मनरेगा के माध्यम से 90 दिनों के अकुशल मज़दूरी के रूप में 22,050 और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से शौचालय निर्माण के लिये 12 हज़ार रुपए की सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है?

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G):

  • शुभारंभ: वर्ष 2022 तक “सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया।
  • शामिल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
  • स्थिति: राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थियों को 2.85 करोड़ घर स्वीकृत किये हैं और मार्च 2023 तक 2.22 करोड़ घर पूरे हो चुके हैं।
  • उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवारों, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
  • गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line- BPL) जीवन यापन करने वाले ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण तथा मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
  • लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक
  • लाभार्थियों का चयन: तीन-चरणीय सत्यापन जैसे सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के माध्यम से।
  • लागत साझाकरण: मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों एवं जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।