छत्तीसगढ़ में महिला पंचायत की जगह प्रॉक्सी शपथ | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले के परसवाड़ा ग्राम पंचायत में छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पतियों (प्रधान पति) ने कथित तौर पर उनकी जगह शपथ ली।
मुख्य बिंदु
- प्रधान पति: यह भारत में पंचायतों (ग्राम परिषदों) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों का वर्णन करने के लिये प्रयुक्त एक बोलचाल का शब्द है, जो अनौपचारिक रूप से अपनी पत्नियों (वास्तविक पंचायत प्रतिनिधियों) की ओर से सत्ता का प्रयोग करते हैं।
- यह घटना सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों के कारण उत्पन्न होती है, जहाँ महिलाओं के आधिकारिक पदों पर रहने के बावजूद, उनके पति या परिवार के पुरुष सदस्य निर्णय लेते हैं और प्रशासनिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
- शपथ ग्रहण विवाद : सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पति उनकी जगह शपथ लेते नजर आ रहे हैं।
- इस पर पंडरिया जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मामले की जाँच करने के निर्देश दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि जाँचरिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- अनियमित शपथ-ग्रहण : पंचायत सचिव ने कथित तौर पर वास्तविक प्रतिनिधियों के बजाय छह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों को शपथ दिलाई।
- जन आक्रोश : स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण का उल्लंघन बताया और ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्रवाई में विफलता भविष्य में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकती है।
पंचायती राज संस्थाओं (PRI) का शासन
- राज्य विषय:
- स्थानीय शासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, तथा पंचायती राज संस्थाएँ संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार कार्य करती हैं।
- संवैधानिक ढांचा:
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की स्थापना की और महिलाओं के लिये 1/3 आरक्षण अनिवार्य किया, जिसे बाद में 21 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
- अनुच्छेद 243डी पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 40, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत है, राज्य को ग्राम पंचायतों की स्थापना करने तथा उन्हें स्वशासी इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिये आवश्यक शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है।
- अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम, 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और जनजातीय संस्कृति और आजीविका की रक्षा के लिये विशेष शक्तियां प्रदान करता है।