ऑपरेशन कगार | 29 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
बढ़ती हिंसा और विवादास्पद सुरक्षा अभियानों की पृष्ठभूमि में, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के ऑपरेशन कगार पर चिंता जताई है।
- छत्तीसगढ़ में माओवादी विद्रोहियों को खत्म करने के उद्देश्य से चलाए गए इस अभियान की कड़ी आलोचना हो रही है, क्योंकि इसमें विशेष रूप से आदिवासियों और युवाओं की हत्या के आरोप लगे हैं।
टिप्पणी:
- केंद्रीय गृहमंत्री ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार नक्सलवाद के समूल खात्मे के लिये प्रतिबद्ध है। सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाये, ताकि किसी भी नागरिक को इसकी वज़ह से अपने प्राण न गँवाने पड़ें।
मुख्य बिंदु
- ऑपरेशन कगार के बारे में:
- गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन कगार का उद्देश्य नक्सलियों का उन्मूलन करना और माओवाद की राजनीतिक विचारधारा को खत्म करना है।
- इस अभियान में उन माओवादियों को भारी क्षति हुई है जिन्होंने सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया है।
- साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, 2025 के पहले तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा 140 से अधिक माओवादियों को मार गिराया गया।
- यह आँकड़ा छत्तीसगढ़ में वर्ष 2024 में होने वाली कुल मृत्यु संख्या के आधे से भी अधिक है, जोकि 235 है।
- आदिवासियों और स्थानीय समुदायों पर प्रभाव
- सरकार का दावा है कि ऑपरेशन कगार का उद्देश्य शांति लाना है, लेकिन इसके चलते स्थानीय समुदायों, विशेषकर आदिवासी आबादी पर गहरा असर पड़ा है।।
- कई आदिवासी गोलीबारी में फँस गए हैं और सरकार के आक्रामक रुख से स्थानीय आक्रोश और बढ़ गया है।
- नक्सलियों और सुरक्षा बलों दोनों की ओर से हिंसा में वृद्धि ने जनजातीय समुदायों और सरकार के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, जिससे केवल सैन्य कार्रवाई पर निर्भर रहने के बजाए उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को दूर करने की मांग बढ़ गई है।
नक्सलवाद
- परिचय: नक्सलवाद, माओवादी विचारधारा से प्रेरित वामपंथी उग्रवाद का एक रूप है, जो सशस्त्र विद्रोह (हिंसा और गुरिल्ला युद्ध) के माध्यम से राज्य को समाप्त करने का प्रयास करता है।
- नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई है, जहाँ वर्ष 1967 में शोषक ज़मींदारों के खिलाफ किसानों का विद्रोह हुआ था।
- इसके बाद से यह एक जटिल उग्रवाद के रूप में विकसित हो गया है, जो भारत के कई राज्यों को प्रभावित कर रहा है।
- भारतीय माओवादी: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) भारत का सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी समूह है। इसका गठन दो प्रमुख माओवादी गुटों: CPI (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया के विलय से हुआ था।
- CPI (माओवादी) और उसके संगठनों को UAPA, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।
- भौगोलिक विस्तार: नक्सल आंदोलन "रेड कॉरिडोर" में सबसे अधिक सक्रिय है, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और बिहार सहित कई भारतीय राज्यों के हिस्सों में फैला हुआ है।
- नक्सलवाद के कारण:
- भूमिहीनता और शोषण: असमान भूमि वितरण और ज़मींदारों, साहूकारों एवं बिचौलियों द्वारा शोषणकारी प्रथाओं के कारण ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में असंतोष बढ़ा और नक्सलवाद को बढ़ावा मिला।
- गरीबी और अल्प विकास: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोज़गार के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिससे लोग उग्रवाद की ओर बढ़ रहे हैं।
- जनजातीय अलगाव: उचित पुनर्वास के बिना औद्योगिक और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापन से राज्य के प्रति गुस्सा और अविश्वास बढ़ता है, जिसके कारण कई लोग नक्सलवादी आंदोलनों में शामिल हो जाते हैं।
- राज्य की उपेक्षा और हिंसा: सरकारी तंत्र अनुपस्थिति, बुनियादी सेवाओं की कमी तथा हिरासत में मृत्यु सहित पुलिस की ज्यादतियों के मामलों ने शिकायतों को और बढ़ा दिया है, जिससे नक्सली विद्रोह को मज़बूती मिली है।