अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण | 24 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई।

मुख्य बिंदु

  • OBC आरक्षण की स्थिति :
    • OBC को केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलता है।
  • वर्ष 1953 में कालेलकर आयोग की स्थापना की गई, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति (Scheduled Castes- SC) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) से परे पिछड़े वर्गों को मान्यता देने का पहला उदाहरण पेश किया।
  • वर्ष 1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट में OBC आबादी 52% होने का अनुमान लगाया गया था और 1,257 समुदायों को पिछड़े वर्ग के रूप में पहचाना गया था।
    • असमानता को दूर करने के लिये इसने मौजूदा कोटा (जो पहले केवल SC/ST के लिये लागू था) को 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने का सुझाव दिया, जिसमें OBC को शामिल करने के लिये आरक्षण का विस्तार किया गया।
    • इन सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 16(4) के तहत OBC के लिये केंद्रीय सिविल सेवा में 27% सीटें आरक्षित करते हुए आरक्षण नीति लागू की।
    • यह नीति अनुच्छेद 15(4) के तहत केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू की गई थी।
  • वर्ष 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करते हुए कि ये लाभ सबसे वंचित लोगों तक पहुँचे, हस्तक्षेप किया और केंद्र सरकार को OBC के बीच "क्रीमी लेयर (Creamy Layer)" (उन्नत वर्गों) को आरक्षण नीति के  लाभ से बाहर करने का निर्देश दिया।
  • वर्ष 2018 में 102वें संविधान संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes- NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
    • इसने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में NCBC को उसकी पिछली स्थिति से ऊपर स्थान दिया, जिससे इसे OBC सहित पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करने में अधिक अधिकार और मान्यता प्राप्त हुई।