राजस्थान में नई सौर परियोजना | 31 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
जैक्सन ग्रीन (भारत) और ब्लूलीफ एनर्जी (सिंगापुर) ने राजस्थान में 1 गीगावाट के सौर परियोजनाओं के विकास के लिये साझेदारी की है, जिसमें 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3,400 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- परियोजना का दायरा एवं समय-सीमा:
- 1 गीगावाट पोर्टफोलियो में ऋण और इक्विटी के माध्यम से वित्तपोषित तीन सौर परियोजनाएँ शामिल हैं।
- परियोजनाओं में अंतरराज्यीय (InSTS) और अंतरराज्यीय (ISTS) ट्रांसमिशन प्रणाली परियोजनाएँ शामिल हैं।
- राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RUVNL), भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (SECI) और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम लिमिटेड (NHPC) लिमिटेड से बोली के माध्यम से 25-वर्षीय विद्युत क्रय समझौते (PPA) प्राप्त किये गए।
- तीनों सौर परियोजनाओं के 2025-2026 के दौरान क्रमशः शुरू होने की संभावना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार लक्ष्य:
- इस साझेदारी का लक्ष्य 2030 तक भारतीय ग्रिड में 5 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ना है।
- राजस्थान की परियोजनाएँ प्रतिवर्ष 1,800 GWh (गीगावाट घंटे) हरित ऊर्जा उत्पन्न करेंगी, जो 1.5 मिलियन घरों को विद्युत देने के लिये पर्याप्त होगी।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- इस परियोजना से 25 वर्षों में 22 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।
- यह सड़कों से 5 मिलियन कारों को हटाने के बराबर है।
- रोज़गार सृजन एवं आर्थिक लाभ:
- इस पहल से निर्माण और परिचालन चरणों के दौरान रोज़गार सृजित होंगे।
- वित्तीय एवं बैंकिंग सहायता:
- इस लेनदेन के लिये अर्न्स्ट एंड यंग (EY) को निवेश बैंकर के रूप में नियुक्त किया गया था।
- जैक्सन ग्रीन सुरक्षित ऋण सुविधाएँ:
- फर्स्ट अबू धाबी बैंक (मुंबई) से 2.96 बिलियन रुपए।
- HSBC (हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन) से 600 मिलियन रुपए।
- यह निधि घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय EPC (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) परिचालनों को सहायता प्रदान करेगी।
विद्युत क्रय समझौता (PPA)
- ये विद्युत उत्पादकों और खरीददारों (आमतौर पर सार्वजनिक उपयोगिताओं) के बीच दीर्घकालिक समझौते (आमतौर पर 25 वर्ष) होते हैं।
- इसमें उत्पादकों को निश्चित दरों पर बिजली आपूर्ति करने के लिये प्रतिबद्ध करना शामिल है, जिससे महत्त्वपूर्ण उत्पादन क्षमता सुनिश्चित हो सके।
- वे अनुकूल नहीं होते और गतिशील बाज़ार स्थितियों के अनुकूल ढलने में असमर्थ होते हैं।
इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल
- इस मॉडल के तहत लागत पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है।
- सरकार ने निजी कंपनियों से इंजीनियरिंग ज्ञान के लिये बोलियाँ आमंत्रित की हैं।
- कच्चे माल की खरीद और निर्माण लागत सरकार द्वारा वहन की जाती है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी न्यूनतम है और यह केवल इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के प्रावधान तक ही सीमित है।
- इस मॉडल की एक चुनौती यह है कि इससे सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है।