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राजस्थान

राजस्थान में नई सौर परियोजना

  • 31 Jan 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

जैक्सन ग्रीन (भारत) और ब्लूलीफ एनर्जी (सिंगापुर) ने राजस्थान में 1 गीगावाट के सौर परियोजनाओं के विकास के लिये साझेदारी की है, जिसमें 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3,400 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • परियोजना का दायरा एवं समय-सीमा: 
  • नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार लक्ष्य: 
    • इस साझेदारी का लक्ष्य 2030 तक भारतीय ग्रिड में 5 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ना है।
    • राजस्थान की परियोजनाएँ प्रतिवर्ष 1,800 GWh (गीगावाट घंटे) हरित ऊर्जा उत्पन्न करेंगी, जो 1.5 मिलियन घरों को विद्युत देने के लिये पर्याप्त होगी।
  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • इस परियोजना से 25 वर्षों में 22 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।
    • यह सड़कों से 5 मिलियन कारों को हटाने के बराबर है।
  • रोज़गार सृजन एवं आर्थिक लाभ:
    • इस पहल से निर्माण और परिचालन चरणों के दौरान रोज़गार सृजित होंगे।
  • वित्तीय एवं बैंकिंग सहायता:
    • इस लेनदेन के लिये अर्न्स्ट एंड यंग (EY) को निवेश बैंकर के रूप में नियुक्त किया गया था।
    • जैक्सन ग्रीन सुरक्षित ऋण सुविधाएँ:
      • फर्स्ट अबू धाबी बैंक (मुंबई) से 2.96 बिलियन रुपए।
      • HSBC (हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन) से 600 मिलियन रुपए।
    • यह निधि घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय EPC (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) परिचालनों को सहायता प्रदान करेगी।

विद्युत क्रय समझौता (PPA)

  • ये विद्युत उत्पादकों और खरीददारों (आमतौर पर सार्वजनिक उपयोगिताओं) के बीच दीर्घकालिक समझौते (आमतौर पर 25 वर्ष) होते हैं।
  • इसमें उत्पादकों को निश्चित दरों पर बिजली आपूर्ति करने के लिये प्रतिबद्ध करना शामिल है, जिससे महत्त्वपूर्ण उत्पादन क्षमता सुनिश्चित हो सके।
  • वे अनुकूल नहीं होते और गतिशील बाज़ार स्थितियों के अनुकूल ढलने में असमर्थ होते हैं।

इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल 

  • इस मॉडल के तहत लागत पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है। 
  • सरकार ने निजी कंपनियों से इंजीनियरिंग ज्ञान के लिये बोलियाँ आमंत्रित की हैं।
  • कच्चे माल की खरीद और निर्माण लागत सरकार द्वारा वहन की जाती है। 
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी न्यूनतम है और यह केवल इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के प्रावधान तक ही सीमित है। 
  • इस मॉडल की एक चुनौती यह है कि इससे सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है।

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