राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार | 29 Nov 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के तहत राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (NGRA) 2024 के विजेताओं की घोषणा की।

  • यह पशुधन और डेयरी क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है और इसे राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर, 2024) पर प्रदान किया जाता है।

मुख्य बिंदु

  • पुरस्कार का उद्देश्य:
    • NGRA का उद्देश्य पशुपालन और डेयरी में योगदान को मान्यता देना और प्रोत्साहित करना है।
  • पुरस्कार श्रेणियाँ:
    • स्वदेशी गाय/भैंस नस्लों का पालन करने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान,
    • सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)
    • सर्वोत्तम डेयरी सहकारी/दूध उत्पादक कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठन।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के लिये विशेष पुरस्कार वर्ष 2024 में शुरू किये गए।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के लिये विशेष मान्यता:
    • वर्ष 2024 से, क्षेत्र में डेयरी विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये तीनों श्रेणियों में पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के लिये एक विशेष पुरस्कार शामिल किया गया है।
  • प्रत्येक श्रेणी का प्रथम रैंक विजेता है:
    • देशी गाय/भैंस नस्लों का पालन करने वाली सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान - श्रीमती रेणु, झज्जर, हरियाणा।
    • सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति/दूध उत्पादक कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठन- द गाबात मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, अरावली, गुजरात।
    • सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)- श्री भास्कर प्रधान, सुबरनापुर, ओडिशा।
  • पशुधन क्षेत्र पर पृष्ठभूमि:
    • पशुधन क्षेत्र, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) में एक-तिहाई का योगदान देता है तथा इसकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 8% से अधिक है।
    • यह किसानों की आय बढ़ाने, विशेषकर भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों तथा महिलाओं के लिये तथा किफायती और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

  • दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत इसका शुभारंभ किया गया।
  • NPBBDD के दो घटक हैं:
    • राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन कार्यक्रम (NPBB): मान्यता प्राप्त देशी नस्लों का संरक्षण और विकास।
    • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD): दूध संघों/महासंघों द्वारा उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण और विपणन से संबंधित बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
  • उद्देश्य:
    • देशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण एवं विकास।
    • स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता में सुधार लाकर उनके आर्थिक योगदान को अधिकतम करना।