मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने ट्राइबल क्वीन को सम्मानित किया
- 07 Oct 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने 16वीं शताब्दी की आदिवासी रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती के उपलक्ष्य में 5 अक्तूबर, 2024 को दमोह ज़िले के सिंगरामपुर में एक बैठक आयोजित की।
मुख्य बिंदु
- रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना:
- मंत्रिमंडल ने रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना के तहत बाजरा किसानों के लिये 3,900 रुपए प्रति हेक्टेयर तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता को मंज़ूरी दी।
- यह न्यूनतम खरीद मूल्य के अतिरिक्त है, राज्य पहले से ही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से 1,000 रुपए प्रति क्विंटल प्रदान कर रहा है।
- रानी दुर्गावती स्मारक एवं उद्यान:
- जबलपुर में 100 करोड़ रुपए की लागत से रानी दुर्गावती स्मारक एवं उद्यान विकसित करने के लिये एक समिति का गठन करने को मंज़ूरी दी गई।
- इस परियोजना के तहत मदन महल पहाड़ी पर 24 एकड़ क्षेत्र का विकास किया जाएगा और इसमें पंचायत, लोक निर्माण, जनजातीय मामले, संस्कृति और पर्यटन से जुड़े कई राज्य मंत्री शामिल होंगे।
- मध्य प्रदेश जैन कल्याण बोर्ड:
- मंत्रि-परिषद ने जैन समुदाय के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तीकरण के लिये मध्य प्रदेश जैन कल्याण बोर्ड के गठन को मंजूरी दी।
- बोर्ड का नेतृत्व प्रत्येक दो वर्ष में श्वेतांबर और दिगंबर संप्रदायों के सदस्यों के बीच बदलेगा।
- किसानों के लिये अल्पकालिक फसल ऋण:
- सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिये सहकारी बैंकों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालिक फसल ऋण प्रदान करने का निर्णय लिया है।
रानी दुर्गावती
- महोबा के चंदेला राजवंश (वर्तमान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश की सीमा के पास) में सन् 1524 में जन्मी रानी दुर्गावती भारत की आत्मनिर्णय की प्रतीक थीं।
- चंदेलों को 11वीं शताब्दी में प्रसिद्ध खजुराहो मंदिरों के निर्माण के लिये जाना जाता है।
- उन्होंने गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से विवाह किया और 1550 में अपने पति की मृत्यु के बाद गढ़ा-कटंगा राज्य पर बहुत जोश और साहस के साथ शासन किया।
- गढ़-कटंगा साम्राज्य में नर्मदा घाटी और उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थे।
- गोंड जनजाति मध्य भारत की एक प्रमुख जनजाति है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लचीलेपन के लिये जानी जाती है।
- सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, रानी और उनके जनरलों ने 16 वर्षों तक राज्य के मामलों का प्रबंधन किया।