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हरियाणा

विभिन्न राज्यों के लिये मनरेगा मज़दूरी दरें संशोधित

  • 29 Mar 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत मज़दूरी को संशोधित किया गया है, जिसमें विभिन्न राज्यों के लिये 4 से 10% के बीच बढ़ोतरी की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • इस योजना के तहत अकुशल श्रमिकों के लिये हरियाणा में सबसे अधिक मज़दूरी दर 374 रुपए प्रतिदिन है, जबकि अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में सबसे कम 234 रुपए है।
  • इस योजना के तहत वर्ष 2023 मज़दूरी दरों में वृद्धि की गई है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उन परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं, उन्हें एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों की गारंटीकृत मज़दूरी रोज़गार प्रदान करना है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS)

  • परिचय: मनरेगा विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
  • लॉन्च:
    • इसे 2 फरवरी 2006 को लॉन्च किया गया था
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 23 अगस्त 2005 को पारित किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
  • कार्य का कानूनी अधिकार:
    • पहले की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा का उद्देश्य अधिकार-आधारित ढाँचे के माध्यम से चरम निर्धनता के कारणों का समाधान करना है।
    • लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
    • मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुरूप किया जाना चाहिये।
  • मांग-प्रेरित योजना:
    • मनरेगा की रूपरेखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग यह है कि इसके तहत किसी भी ग्रामीण वयस्क को मांग करने के 15 दिनों के भीतर काम पाने की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी प्राप्त है, जिसमें विफल होने पर उसे 'बेरोज़गारी भत्ता' प्रदान किया जाता है।
    • यह मांग-प्रेरित योजना श्रमिकों के स्व-चयन (Self-Selection) को सक्षम बनाती है।
  • विकेंद्रीकृत योजना:
    • इन कार्यों के योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ सौंपकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को सशक्त करने पर बल दिया गया है।
    • अधिनियम में आरंभ किये जाने वाले कार्यों की सिफारिश करने का अधिकार ग्राम सभाओं को सौंपा गया है और इन कार्यों को कम-से-कम 50% उनके द्वारा ही निष्पादित किया जाता है।

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