मध्य प्रदेश ने चीता के लिये नया आवास बनाने की योजना | 21 Dec 2024
चर्चा में क्यों?
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के लिये चीता कार्य योजना में चीता आनुवंशिकी का विश्लेषण, तेंदुओं को स्थानांतरित करना और वर्ष 2025 में चीता के पुन: परिचय की तैयारी के लिये शिकार की संख्या को बढ़ाना शामिल है।
मुख्य बिंदु
- चीता परिचय हेतु कार्य योजना:
- प्रारंभिक रिलीज: अभयारण्य के पश्चिमी रेंज में 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाड़े में 6-8 चीतों को लाया जाएगा।
- शिकार आधार: इस क्षेत्र में चिंकारा, नीलगाय और अन्य प्रजातियों सहित पर्याप्त शिकार उपलब्ध है, अनुमानतः प्रतिवर्ष 1,560-2,080 शिकार पशुओं की आवश्यकता होती है।
- वर्तमान में शिकार की उपलब्धता: इस क्षेत्र में वर्तमान में 475 जानवर हैं तथा चीतल और काले हिरण जैसे 1,500 अतिरिक्त शिकार भी हैं।
- तेंदुए की चुनौती और शमन:
- तेंदुए की जनसंख्या: पश्चिमी रेंज में लगभग 70 तेंदुए हैं, जो शिकार के लिये प्रतिस्पर्धा के कारण चीतों, विशेषकर उनके शावकों के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं।
- तेंदुओं का स्थानांतरण: चीतों को वहाँ लाए जाने से पहले बाड़ वाले क्षेत्र के सभी तेंदुओं को पकड़ लिया जाएगा और उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
- वर्तमान रणनीति: यह प्रयास चीता जनसंख्या को स्थिर करने के लिये एक दशक से अधिक समय से चल रही रणनीति का हिस्सा है, जिसमें मांसाहारी अंतःक्रियाओं पर अनुसंधान के लिये 10 तेंदुओं की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) ट्रैकिंग भी शामिल है।
- चीता जनसंख्या और आनुवंशिक रणनीति:
- चीतों का आयात: आनुवंशिक रूप से विविध आबादी बनाने के लिये अफ्रीकी रिज़र्वों से 12-14 चीतों (8-10 नर, 4-6 मादा) की आबादी का आयात किया जाएगा।
- आनुवंशिक विविधता: अंतःप्रजनन से बचने के लिये चीतों का चयन आनुवंशिक अनुकूलता के आधार पर किया जाएगा, जिसका विश्लेषण माइक्रो-सैटेलाइट और जीनोमिक तकनीकों का उपयोग करके किया जाएगा।
- व्यक्तिगत निगरानी: जनसांख्यिकीय अध्ययन और उत्तरजीविता एवं स्वास्थ्य की निगरानी के लिये चीता प्रोफाइल बनाए रखा जाएगा।
- पारिस्थितिक प्रभाव और शिकार प्रजाति प्रबंधन:
- पारिस्थितिकीय प्रभाव: चीतों के आने से शिकार प्रजातियों के व्यवहार पर असर पड़ेगा, जिसके लिये काले हिरण, चीतल और नीलगाय की आवश्यकता होगी।
- शिकार को रेडियो कॉलर लगाना: कुछ शिकार जानवरों को रेडियो कॉलर लगाया जाएगा ताकि नए शिकारियों की उपस्थिति के प्रति उनके अनुकूलन का अध्ययन किया जा सके।
- जीर्णोद्धार योजनाएँ: अभयारण्य के आवास का जीर्णोद्धार एक व्यापक चीता संरक्षण योजना का हिस्सा है, जिसमें राजस्थान के भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व जैसे अन्य स्थलों को भी चीता आबादी के लिये चिह्नित किया गया है।
- चीता की वर्तमान स्थिति:
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में 24 चीते (12 शावकों सहित) हैं, जिनमें से दो चीतों को हाल ही में खुले वन में छोड़ा गया है।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान:
- 1974 में अधिसूचित, इसमें राजस्थान की सीमा से लगे पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िले शामिल हैं।
- चंबल नदी इस अभयारण्य को लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करती है तथा गांधी सागर बाँध भी अभयारण्य के भीतर स्थित है।
- पारिस्थितिकी तंत्र:
- इसके पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता इसकी चट्टानी भूमि और उथली ऊपरी मृदा है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन प्रदान करती है।
- इसमें सूखे पर्णपाती वृक्षों और झाड़ियों से भरे खुले घास के मैदान शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अभयारण्य के भीतर नदी घाटियाँ सदाबहार हैं।