मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश: DRI ने 112 किलोग्राम मेफेड्रोन ज़ब्त किया
- 14 Oct 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence- DRI) ने मध्य प्रदेश के झाबुआ में एक अवैध मेफेड्रोन फैक्ट्री पर कार्यवाही किया और बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ ज़ब्त किया।
मुख्य बिंदु
- झाबुआ में DRI ऑपरेशन: राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने मध्य प्रदेश के झाबुआ में मेफेड्रोन बनाने वाली एक अवैध फैक्ट्री पर कार्यवाही किया।
- इस अभियान के दौरान 112 किलोग्राम मेफेड्रोन नामक सिंथेटिक ड्रग ज़ब्त किया गया, जिसका बाज़ार मूल्य काफी अधिक है।
- ऑपरेशन के दौरान अवैध दवा निर्माण और वितरण नेटवर्क में शामिल विभिन्न व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
- मादक पदार्थों की तस्करी पर प्रभाव: इस छापेमारी को क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी के लिये एक महत्त्वपूर्ण झटका माना जा रहा है, क्योंकि मेफेड्रोन बाज़ार में एक लोकप्रिय अवैध दवा है।
- निरंतर सतर्कता: अधिकारियों ने सतर्कता बढ़ा दी है तथा क्षेत्र में अवैध मादक पदार्थ गतिविधियों को रोकने के लिये क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं।
- मेफेड्रोन और इसके ज़ोखिम: मेफेड्रोन, जिसे "MD" के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक नशे की लत वाली सिंथेटिक दवा है, जो गंभीर स्वास्थ्य ज़ोखिम से ग्रस्त है, जिसके कारण इसके अवैध उत्पादन से निपटना कानून प्रवर्तन के लिये प्राथमिकता बन गई है।
मेफेड्रोन
- इसे 4-मिथाइलमेथकैथिनोन, 4-MMC और 4-मिथाइलफेड्रोन के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एम्फैटेमिन और कैथिनोन वर्ग की एक सिंथेटिक उत्तेजक दवा है।
- अन्य नाम: ड्रोन, M-CAT, व्हाइट मैजिक, 'म्यो म्यो' और बबल।
- इसकी भूमिका एक जेनोबायोटिक और पर्यावरण प्रदूषक के रूप में है।
- इसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर अनेक प्रतिकूल प्रभावों से जोड़ा गया है।
- उपयोगकर्त्ता आमतौर पर सतर्कता, उत्साह और सामाजिकता में वृद्धि की रिपोर्ट करते हैं, लेकिन इन सकारात्मक प्रभावों की कीमत चुकानी पड़ती है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- चिंता, व्यामोह, मतली और अनिद्रा इस सिंथेटिक उत्तेजक के प्रभाव में व्यक्तियों द्वारा अनुभव किये जाने वाले नकारात्मक दुष्प्रभावों में से हैं।
- मेफेड्रोन के दीर्घकालिक समय तक उपयोग से अधिक गंभीर परिणाम सामने आए हैं, जिनमें हृदय संबंधी समस्याएँ, मतिभ्रम और यहाँ तक कि आक्रामक व्यवहार के मामले भी शामिल हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य पर इस दवा के प्रभाव से इसकी लत लगने और दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक नुकसान की आशंका के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- भारत में इसे स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत प्रतिबंधित किया गया है।