अरावली रेंज में अवैध खनन | 04 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि राजस्थान में अरावली पर्वतश्रेणी में अवैध खनन रोका जाना चाहिये।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय के एमिकस क्यूरी (निष्पक्ष सलाहकार) के अनुसार, राजस्थान सरकार ने केवल उन पर्वतों को अरावली पर्वतश्रेणी से संबंधित मानकर न्यायालय को धोखा देने की कोशिश की, जो कम-से-कम 100 मीटर ऊँचे थे, जबकि इस पर्वतश्रेणी में छोटी पहाड़ियों को शामिल नहीं किया गया था।
- अरावली एकमात्र भू-स्थलाकृति है जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाली शुष्क हवाओं को गंगा के मैदानी इलाकों में आने से रोकती है।
- अरावली एक प्राकृतिक प्रहरी है। इसके ह्रास से मौसम शुष्क जलवायु में बदल जाएगा।
- नवंबर 2023 में न्यायालय ने अरावली में पुरापाषाणकालीन खोजों पर ध्यान दिया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को उस स्थल की रक्षा करने का निर्देश दिया था, जो राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा भी हो सकता है।
अरावली पर्वतश्रेणी
- उत्तर-पश्चिमी भारत की अरावली पर्वतश्रेणी, जो विश्व के सबसे पुराने वलित पर्वतों में से एक है, में 300 मीटर से 900 मीटर की ऊँचाई वाले अवशिष्ट पर्वतों की शृंखला है। इनका विस्तार गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक 800 किमी. की दूरी तक और हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली में 692 किमी. (किमी) तक है।
- पर्वतश्रेणी को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है - सांभर सिरोही रेंज और राजस्थान में सांभर खेतड़ी रेंज, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किमी. है।
- तीक्ष्ण वलयन (Orogenic Movement) ये वलित पर्वत हैं जिनमें चट्टानें मुख्य रूप से वलित पर्पटी से निर्मित हैं, जब दो अभिसरण प्लेटें तीक्ष्ण वलयन (Orogenic Movement) नामक संचलन प्रक्रिया द्वारा एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
- संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।