गंभीर रूप से संकटग्रस्त एलोंगेटेड कछुआ अरावली में देखा गया | 10 Sep 2024

चर्चा में क्यों

हाल ही में गंभीर रूप से संकटग्रस्त लंबे आकार का कछुआ पहली बार अरावली में देखा गया।

मुख्य बिंदु

  • एलोंगेटेड कछुआ: प्रत्येक कछुए के बीच में स्पष्ट काले धब्बों के साथ पीले-भूरे या जैतून के रंग के कवच से युक्त यह कछुआ हरियाणा के दमदमा क्षेत्र में पाया गया।
    • प्रजनन काल के दौरान, परिपक्व कछुओं के नथुनों और आँखों के चारों ओर गुलाबी रंग का घेरा विकसित हो जाता है।
  • पर्यावास और वितरण: एलोंगेटेड कछुआ साल पर्णपाती तथा पहाड़ी सदाबहार वनों में पाया जाता है।
    • इसका वितरण क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तारित है, जो उत्तर में भारत, नेपाल, भूटान और पश्चिम में बांग्लादेश से लेकर म्याँमार, थाईलैंड, इंडोचीन, उत्तर में चीन के गुआंग्शी प्रांत एवं दक्षिण में प्रायद्वीपीय मलेशिया तक विस्तृत है।
    • पूर्वी भारत के छोटा नागपुर पठार में एक विच्छिन्न संख्या उपस्थित है।
    • यह समुद्र तल से 1,000 मीटर ऊपर की निचली भूमि और तलहटी में भी निवास करता है।
    • अरावली में कछुए की उपस्थिति एक असामान्य बात है, क्योंकि यह आमतौर पर हिमालय की तराई और आर्द्र क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • संरक्षण स्थिति: वर्ष 2018 में मूल्यांकित अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट के अनुसार एलोंगेटेड कछुए गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
    • इस प्रजाति का अत्यधिक शोषण खाद्य और पारंपरिक चिकित्सा के लिये किया जाता है, जिसमें अवसरवादी तथा जानबूझकर किया गया शिकार शामिल है, साथ ही कछुओं को खोजने के लिये कुत्तों का उपयोग किया जाता है।

अरावली

    • अरावली पर्वतमाला गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली तक विस्तृत है, इसकी लंबाई 692 किमी. तथा चौड़ाई 10 से 120 किमी. के बीच है।
      • यह पर्वतमाला एक नेचुरल ग्रीन वॉल के रूप में कार्य करती है, जिसका 80% भाग राजस्थान में तथा 20% हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में स्थित है।
  • अरावली पर्वतमाला दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है- सांभर सिरोही श्रेणी और राजस्थान में सांभर खेतड़ी श्रेणी, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
  • यह थार मरुस्थल और गंगा के मैदान के बीच एक इकोटोन के रूप में कार्य करता है।
    • इकोटोन वे क्षेत्र हैं जहाँ दो या अधिक पारिस्थितिक तंत्र, जैविक समुदाय अथवा जैविक क्षेत्र मिलते हैं।
  • इस पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (राजस्थान) है, जिसकी ऊँचाई 1,722 मीटर है।