हरियाणा
COP-16 सम्मेलन
- 03 Dec 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंत्री ने 2 से 13 दिसंबर, 2024 तक सऊदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD)- COP 16 में भाग लेने के लिये नई दिल्ली से एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
मुख्य बिंदु
- सहयोग के लिये मंच:
- यह आयोजन ग्रीन जोन के व्यवसायों, वैज्ञानिकों, वित्तीय संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और प्रभावित समुदायों के लिये एक प्रभावी मंच के रूप में कार्य करेगा।
- इसका उद्देश्य भूमि पुनर्स्थापन और सूखा प्रबंधन के लिये सहयोग को सुविधाजनक बनाना और स्थायी समाधान विकसित करना है।
- अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी:
- COP-16 में विश्व भर के विभिन्न देशों के प्रतिनिधि एक साथ आएँगे।
- इस सम्मेलन के माध्यम से मरुस्थलीकरण से संबंधित चुनौतियों के समाधान पर वैश्विक स्तर पर चर्चा को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD)
- वर्ष 1994 में स्थापित, यह पर्यावरण और विकास को सतत् भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
- यह विशेष रूप से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिन्हें शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है, जहाँ कुछ सबसे कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र और लोग पाए जा सकते हैं।
- सम्मेलन के 197 पक्ष शुष्क भूमि पर लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, भूमि और मृदा की उत्पादकता को बनाए रखने और बहाल करने तथा सूखे के प्रभावों को कम करने के लिये मिलकर काम करते हैं।
- UNCCD भूमि, जलवायु और जैव विविधता की परस्पर जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिये अन्य दो रियो सम्मेलनों के साथ काम करता है:
- जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD)
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)