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हरियाणा

भूजल प्रदूषण के संबंधी चिंताएँ

  • 14 Jan 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत भर में भूजल की गुणवत्ता में काफी भिन्नता है, कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मेघालय और जम्मू-कश्मीर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानकों को पूरी तरह से पूरा करते हैं, जबकि राजस्थान, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य व्यापक रूप से संदूषण का सामना कर रहे हैं।      

मुख्य बिंदु

  • जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नगालैंड ने असाधारण भूजल प्रबंधन प्रथाओं का प्रदर्शन किया है। 
  • वर्ष 2023 में देश भर में 15,259 भूजल निगरानी स्थानों पर गुणवत्ता डेटा और 4,982 प्रवृत्ति स्टेशनों पर केंद्रित मूल्यांकन के आधार पर रिपोर्ट में एक उल्लेखनीय चिंता "कई क्षेत्रों में यूरेनियम का ऊँचा स्तर" है।
  • उच्च यूरेनियम सांद्रता वाले नमूनों को अति-शोषित, गंभीर और अर्ध-गंभीर भूजल संकट वाले क्षेत्रों में एकत्रित किया गया, जैसे कि राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक। 
    • राजस्थान और पंजाब को यूरेनियम संदूषण के क्षेत्रीय हॉटस्पॉट के रूप में दर्शाया गया है।
  • रिपोर्ट में भूजल में नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनिक और लौह की उच्च सांद्रता के कारण जल की गुणवत्ता पर गंभीर चिंता भी व्यक्त की गई है।
  • लगभग 20% नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई गई, जबकि 9% नमूनों में फ्लोराइड का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया।  
    • 3.5% नमूनों में आर्सेनिक संदूषण पाया गया।
    • राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फ्लोराइड की स्वीकार्य सीमा से अधिक सांद्रता एक बड़ी चिंता का विषय है। 
    • राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में नाइट्रेट संदूषण की घटनाएँ सबसे अधिक हैं, जहाँ 40% से अधिक जल नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक है। 
      • रिपोर्ट में इसका मुख्य कारण कृषि अपवाह और उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग बताया गया है। 
  • मूल्यांकन के दौरान कई राज्यों में, विशेषकर गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के बाढ़ के मैदानों में आर्सेनिक का स्तर ऊँचा पाया गया।
    • इसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और मणिपुर के क्षेत्रों के साथ-साथ पंजाब और छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव ज़िले के क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • विद्युत चालकता (EC) जो पानी द्वारा बिजली का संचालन करने की सहजता का माप है। यह वास्तव में पानी के खनिजीकरण का माप है और भूजल की लवणता की डिग्री का संकेत है।
  • यह बताता है कि पानी में कितने घुलनशील पदार्थ, रसायन और खनिज मौजूद हैं। इन अशुद्धियों की अधिक मात्रा से पानी की चालकता अधिक हो जाएगी।
  • EC स्तरों में बढ़ती प्रवृत्ति भूजल लवणीकरण की एक गहरी समस्या का संकेत देती है। 
  • रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक भूजल में उच्च EC मूल्य से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

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