उत्तराखंड
चिंतन शिविर 2025
- 08 Apr 2025
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चर्चा में क्यों?
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उत्तराखंड के देहरादून में दो दिवसीय चिंतन शिविर 2025 का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में भारत से प्रमुख हितधारकों को नीतियों को आकार देने, कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करने और हाशिये पर पड़े समुदायों के लिये सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु केंद्र-राज्य भागीदारी को सशक्त करने के लिये संगठित किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- प्रतिनिधित्व:
- इस कार्यक्रम में 23 राज्यों के सामाजिक न्याय मंत्री शामिल हुए, जिससे राज्य स्तर पर सशक्त भागीदारी पर प्रकाश डाला गया।
- इसमें 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे व्यापक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समावेशिता प्रदर्शित हुई।
- दृष्टि:
- केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सामाजिक समानता के बिना राष्ट्रीय विकास अप्राप्य है।
- उन्होंने चिंतन शिविर को विचारों के आदान-प्रदान, संवाद और विकसित भारत की दिशा में प्रगति के आकलन के लिये एक मिशन-संचालित मंच बताया।
- उन्होंने कल्याण से सशक्तीकरण की ओर बदलाव को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक को जाति, लिंग, योग्यता या पृष्ठभूमि के बावजूद सम्मान के साथ आगे बढ़ने के समान अवसर मिलने चाहिये।
- प्रमुख लक्षित क्षेत्र:
- विचार-विमर्श चार मुख्य स्तंभों - शिक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक संरक्षण और सुगम्यता पर आधारित था।
- विभाग ने दिव्यांगजनों को सहायता (ADIP), दिव्यांगजनों के लिये छात्रवृत्ति, कौशल विकास और डिजिटल समावेशन जैसी योजनाओं में प्रगति प्रदर्शित की।
- राज्यों ने मोबाइल मूल्यांकन शिविर, समावेशी स्कूल बुनियादी ढाँचे और सुलभ परिवहन मॉडल जैसे सर्वोत्तम तरीकों को साझा किया।
- चर्चा में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और पीएम-यशस्वी पर भी चर्चा की गई, जिसमें हाशिये पर पड़े समूहों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- राज्यों ने डिजिटल अनुप्रयोगों, सत्यापन प्रणालियों तथा ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों तक पहुँच से संबंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला।
- मंत्रालय ने छात्रवृत्ति कार्यान्वयन में सुधार के लिये सक्रिय संचार और जमीनी स्तर पर लामबंदी अपनाने का आग्रह किया।
- आजीविका और आर्थिक समावेशन:
- मंत्रालय ने पीएम-अजय और SEED के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया, जिसमें राज्यों ने परिसंपत्ति निर्माण, क्लस्टर विकास और उद्यमिता में सफल मॉडल प्रदर्शित किये।
- चर्चा में स्वच्छता कार्य के आधुनिकीकरण, मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने तथा प्रौद्योगिकी और अंतर-एजेंसी समन्वय के माध्यम से सफाई कर्मचारियों - विशेषकर महिलाओं के सम्मान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- कानूनी सुरक्षा और सामाजिक न्याय:
- नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम और अत्याचार निवारण अधिनियम के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई।
- मंत्रालय ने तीव्र जाँच, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संवेदनशील बनाने तथा जाति आधारित भेदभाव के पीड़ितों के लिये मज़बूत कानूनी सहायता का आह्वान किया।
- ज़िला स्तरीय जवाबदेही और न्याय प्रदान करने के लिये पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया।
पीएम-यशस्वी योजना
- परिचय:
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई यह योजना हाशिये पर पड़े छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- पात्रता:
- यह ओबीसी, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EBC) और DNT छात्रों के लिये खुला है, जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपए प्रति वर्ष तक है।
- उप-योजनाएँ:
- यह एक व्यापक योजना है, जिसमें निम्नलिखित उप-योजनाएँ शामिल हैं:
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 2.5 लाख रुपए से कम आय वाले परिवारों को 4,000 रुपए वार्षिक शैक्षणिक भत्ता।
- पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: पाठ्यक्रम श्रेणी के आधार पर 5,000 रुपए से 20,000 रुपए तक।
- कॉलेज शिक्षा: शीर्ष कॉलेज के छात्रों को ट्यूशन, रहने का खर्च और शिक्षा सामग्री सहित पूर्ण वित्तीय सहायता मिलती है।
- छात्रावास: सरकारी स्कूलों और संस्थानों के पास आवास की सुविधा।
SEED
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में विमुक्त/घुमंतू/अर्धघुमंतू (SEED) समुदायों के आर्थिक सशक्तीकरण की योजना शुरू की गई थी।
- इसका उद्देश्य इन छात्रों को निःशुल्क प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग प्रदान करना, परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना, आजीविका पहल के माध्यम से इन समुदायों के समूहों का उत्थान करना तथा आवास के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।