छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अप्राकृतिक यौन संबंध पर रोक लगाई
- 12 Feb 2025
- 2 min read
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रियाएँ करता है तो उसे बलात्कार नहीं माना जाएगा आर्थात यदि कोई पति अपनी पत्नी के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत परिभाषित अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है, तो इसे भी अपराध नहीं माना जा सकता।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बस्तर ज़िले के एक निवासी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने अपनी पत्नी की वर्ष 2017 में हुई मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी थी।
- सत्र न्यायालय ने पहले फैसला सुनाया था कि महिला जबरन शारीरिक संबंध बनाने के कारण बीमार हो गई और बाद में उसकी मौत हो गई।
- ट्रायल कोर्ट का दोषसिद्धि:
- सत्र न्यायालय ने अपीलकर्त्ता को निम्नलिखित प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया:
- धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध)
- धारा 376 (बलात्कार)
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 304 (हत्या की कोटि में न आने वाला गैर इरादतन हत्या)।
- अपीलकर्त्ता को उसकी पत्नी के मृत्यु पूर्व दिये गए बयान के आधार पर 10 वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई।
- उच्च न्यायालय का निर्णय:
- यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक है तो पति द्वारा पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध या कृत्य बलात्कार नहीं कहा जा सकता।
- न्यायालय ने फैसला सुनाया कि इन परिस्थितियों में अप्राकृतिक यौन संबंध के लिये सहमति का अभाव महत्त्वहीन हो जाता है, जिससे धारा 376 और 377 लागू नहीं होतीं।
- उच्च न्यायालय ने मृत्यु पूर्व दिये गए बयान की सत्यता पर भी संदेह व्यक्त किया तथा इसकी विश्वसनीयता पर भी चिंता जताई।