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State PCS Current Affairs

मध्य प्रदेश

सी.ए.जी. और वित्त आयोग

  • 17 Mar 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के भोपाल में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और सोलहवें वित्त आयोग की सार्वजनिक वित्त पर परामर्श हेतु बैठक आयोजित हुई।

मुख्य बिंदु

  • विचार-विमर्श मुख्य रूप से तीन प्रमुख क्षेत्रों: संघ और राज्य वित्त, स्थानीय निकाय तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम पर केंद्रित था।
  • इसमें केंद्र और राज्यों के राजकोषीय प्रबंधन, लेखापरीक्षा, कर नीति तथा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान की गई। 
  • अनुशंसाएँ:
    • राज्यों के कर राजस्व (SOTR) में गिरावट: कर संग्रह तंत्र को मज़बूत करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
    • राजकोषीय सूचना की मानकीकरण: लेखांकन प्रक्रियाओं को समान करने का प्रस्ताव रखा गया ताकि पारदर्शी और तुलनात्मक वित्तीय डाटा उपलब्ध हो सके।
    • CAG ने स्टांप ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और राज्य उत्पाद शुल्क जैसे क्षेत्रों में अधिक सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
      • साथ ही आधुनिक तकनीकों जैसे क्यूआर कोड और सेंसर-आधारित सिस्टम अपनाने की सिफारिश की।
    • अधिशेष राजस्व वाले राज्यों द्वारा बजट स्थिरीकरण कोष (Budget Stabilization Fund) बनाने की सिफारिश की गई, जिससे वित्तीय अस्थिरता से बचा जा सके।
    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) सुधार हेतु करदाता सत्यापन प्रक्रिया को मज़बूत करने, अपंजीकृत इकाइयों के एकीकरण तथा स्वचालित डाटा संग्रह और वास्तविक समय सूचना प्रणाली के उपयोग की सिफारिश की गई।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

  • परिचय: 
    • संविधान के अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत का CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग (IA-AD) का प्रमुख होता है। वह सार्वजनिक निधि की सुरक्षा और केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर वित्तीय प्रणाली की देखरेख के लिये ज़िम्मेदार होता है। 
    • भारत का CAG नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 द्वारा शासित होता है, जिसमें वर्ष 1976, 1984 और 1987 में महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए।
  • नियुक्ति और कार्यकाल: 
    • भारत के CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर सहित एक अधिकार-पत्र (Warrant) द्वारा की जाती है। 
    • CAG छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर कार्य करता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा CAG को पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
    • CAG किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्याग-पत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। 
    • पद छोड़ने के बाद CAG भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी भी अन्य पद के लिये पात्र नही हैं।
  • वेतन एवं भत्ते: 
    • CAG का वेतन संसद निर्धारित करती है, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर होते है।
    • CAG के प्रशासनिक व्यय, जिनमें वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, जो संसदीय मतदान के अधीन नहीं होते हैं।
  • कर्त्तव्य एवं शक्तियाँ: CAG भारत की संचित निधि और राज्य निधि से व्यय से संबंधित खातों का लेखा-परीक्षण करता है।
    • यह सरकारी निगमों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकार द्वारा वित्तपोषित निकायों के खातों का भी लेखा-परीक्षण करता है।
    • CAG ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद के समक्ष रखता है। इन रिपोर्टों की जाँच लोक लेखा समिति द्वारा की जाती है।

वित्त आयोग

  • संवैधानिक आधार: यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है।
    • इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष में या राष्ट्रपति द्वारा आवश्यक समझे जाने पर पहले भी की जाती है।
  • संरचना: आयोग में एक अध्यक्ष और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त चार अन्य सदस्य होते हैं।
    • अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जिसे सार्वजनिक मामलों का अनुभव हो।
  • कार्य और कर्तव्य: वित्त आयोग का प्राथमिक कार्य विभिन्न वित्तीय मामलों पर राष्ट्रपति को सिफारिशें करना है।
  • कर वितरण: यह करों की शुद्ध आय के संघ और राज्यों के बीच वितरण की सिफारिश करता है इसमें कर आय से राज्यों के बीच शेयरों का आवंटन शामिल है।
  • सहायता अनुदान: यह विधेयक भारत की संचित निधि से राज्यों को सहायता अनुदान देने के सिद्धांतों का सुझाव देता है।
    • इसमें भारत की संचित निधि से राज्यों को सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों की स्थापना करना शामिल है।

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