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भारतीय राजव्यवस्था

विनियोग विधेयक 2020-21

  • 17 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विनियोग विधेयक, भारत की संचित निधि 

मेन्स के लिये:

विनियोग विधेयक से संबंधित तथ्य और इसकी प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

लोकसभा ने विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों को मंज़ूरी देने के साथ ही वर्ष 2020-21 के लिये भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से सरकार को राशि की निकासी का अधिकार देने वाले विनियोग विधेयक 2020-21 (Appropriation Bill 2020-21) को पारित कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • इस विधेयक में सरकार को उसके कामकाज और कार्यक्रमों तथा योजनाओं को अमल में लाने के लिये भारत की संचित निधि से 110 लाख करोड़ रुपए निकालने हेतु अधिकृत करने का प्रावधान है। 
  • अब अगले चरण में वित्त विधेयक पर चर्चा करके उसे मंज़ूरी दी जाएगी। वित्त विधेयक में कर प्रस्तावों का ब्योरा होता है।
  • COVID-19 के चलते सत्र स्थगन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि 3 अप्रैल की अपनी निर्धारित तिथि से पहले सत्र में कटौती की कोई योजना नहीं है।
  • विनियोग विधेयक के पारित होने के साथ ही वर्ष 2020-21 के बजट को पारित करने की दो-तिहाई प्रक्रिया पूरी हो गई है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किये गए बजट पर लोकसभा और राज्यसभा ने बजट के प्रावधानों पर मौजूदा सत्र के पहले चरण में चर्चा की। सत्र के दूसरे हिस्से में लोकसभा ने विनियोग विधेयक को पारित किया है।
  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विभिन्न मंत्रालयों के लिये अनुदान मांगों को मंजूरी देने हेतु सदन में ‘गिलोटिन’ (Guillotine) का रास्ता अपनाया।

गिलोटिन

  • अलग अलग मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा के लिये संसद के पास समय नहीं होता है। 
  • ऐसे में कुछ ही मंत्रालयों के खर्च या अनुदान मांगों को पहले से निर्धारित समय पर चर्चा के लिये रखा जाता है। 
  • इसके पूरा होने के बाद अन्य मंत्रालयों की अनुदान मांगों को एक साथ रखकर इसे पारित कराया जाता है जिसे गिलोटिन कहते हैं।
  • लोकसभा में रेलवे, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अनुदान मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई।
  • पर्यटन क्षेत्र पर COVID-19 के प्रभाव के बारे में भी चर्चा की गई और केंद्र सरकार से अन्य देशों की तरह राहत पैकेज प्रदान करने का आग्रह किया गया।

विनियोग विधेयक:

  • संवैधानिक प्रावधान के अंतर्गत संसद द्वारा कानून अधिनियमित किये बिना भारत की संचित निधि से कोई धन आहरित नहीं किया जा सकता। 
  • इसका अनुपालन करते हुए लोकसभा द्वारा संचित निधि पर भारित व्यय के साथ-साथ मतदान किये जाने वाले अनुदानों की सभी मांगों को सम्मिलित करने वाले विधेयक को लोकसभा में पुर:स्थापित किया जाता है। 
  • इस विधेयक को विनियोग विधेयक के रूप में जाना जाता है। 
  • इसके नाम के अनुसार इस विधेयक का प्रयोजन सरकार को संचित निधि से किये जाने वाले व्यय का विनियोजन करने हेतु विधिक प्राधिकार प्रदान करना है।

भारत की संचित निधि:

  • इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 266 में किया गया है।
  • भारत सरकार को प्राप्त होने वाला सारा धन (कर से प्राप्त राजस्व तथा ऋण उधार से प्राप्त होने वाला राजस्व) इसी में जमा होता है।
  • संसद द्वारा विनियोग विधेयक या अनुपूरक अनुदान संबंधी विधेयक पारित करने पर ही इस निधि से धनराशि निकाली जा सकती है।
  • संवैधानिक पदाधिकारी के वेतन-भत्ते इस निधि से दिये जाते हैं। ऐसे व्यय को भारित व्यय कहा जाता है, जिसके संबंध में लोकसभा में मतदान होता है।

स्रोत- द हिंदू

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