हरियाणा
गुरु रविदास की जयंती
- 13 Feb 2025
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चर्चा में क्यों?
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गुरु रविदास को उनकी जयंती पर शुभकामनाएँ और बधाई दी। गुरु रविदास जयंती माघ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।
मुख्य बिंदु
- संतों के सम्मान हेतु सरकारी पहल
- हरियाणा सरकार ने संत-महापुरुष सम्मान और विचार प्रचार-प्रसार योजना शुरू की।
- इस पहल के तहत राज्य स्तर पर संतों और महापुरुषों की जयंती और शताब्दी मनाई जाएगी।
- हरियाणा सरकार ने संत-महापुरुष सम्मान और विचार प्रचार-प्रसार योजना शुरू की।
- गुरु रविदास के बारे में:
- संत गुरु रविदास, जिनका जन्म 1377 ई. में सीर गोवर्धनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था, एक संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक के रूप में पूजनीय हैं।
- रैदास, रोहिदास और रविदास जैसे विभिन्न नामों से भी जाने जाते हैं और वे पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े समुदाय से संबंधित थे।
- गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण पर ज़ोर दिया और आध्यात्मिक समानता को बढ़ावा दिया।
- उनकी शिक्षाओं में मानव अधिकार, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान पर ज़ोर दिया गया है।
- उनकी कुछ रचनाएँ प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल हैं, जो उनके साहित्यिक और दार्शनिक महत्त्व को बढ़ाती हैं।
भक्ति आंदोलन
- भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ।
- यह नयनारों (शिव के भक्त) और अलवारों (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता है।
- इन संतों ने धर्म को एक ठंडी औपचारिक पूजा के रूप में नहीं, बल्कि पूज्य और उपासक के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
- समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
- भक्ति विचारधारा को फैलाने के लिये एक अधिक प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने पद लिखे।
- उन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद भी किया ताकि उन्हें व्यापक दर्शकों के लिये समझने योग्य बनाया जा सके।
- उदाहरणों में शामिल हैं ज्ञानदेव ने मराठी में लिखा, कबीर, सूरदास और तुलसीदास ने हिंदी में, शंकरदेव ने असमिया को लोकप्रिय बनाया, चैतन्य और चंडीदास ने बंगाली में अपना संदेश फैलाया, मीराबाई ने हिंदी और राजस्थानी में लेखन शामिल है।