अनुच्छेद 101 | 24 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें संसद में उपस्थित होने की अनुमति मांगी गई थी। 

मुख्य बिंदु

  • अनुपस्थिति पर कानूनी तर्क:
    • अमृतपाल सिंह के वकील ने तर्क दिया कि याचिका दायर करने की तारीख से वह पहले ही 46 दिनों से अनुपस्थित हैं।
    • संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 दिनों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो संसदीय सीट रिक्त घोषित की जा सकती है
    • इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस सीमा तक पहुँचने में केवल छह दिन शेष हैं, जिसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
  • मामले की पृष्ठभूमि:
    • खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से सांसद अमृतपाल सिंह ने पहली बार जनवरी 2025 में अदालत का रुख किया था।
    • उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये संसद में उपस्थित होने तथा केंद्रीय मंत्रियों से मिलने की अनुमति मांगी।
    • उनकी याचिका में तर्क दिया गया कि 19 लाख से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक निर्वाचित सांसद के रूप में उन्हें अपने संसदीय कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिये।

अनुच्छेद 101(4)

  • प्रमुख प्रावधान:
    • यदि कोई सांसद बिना अनुमति के लगातार 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
    • दिनों की गणना में वह अवधि शामिल नहीं है जब संसद सत्र में नहीं होती।
    • अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं।
  • उद्देश्य:
    • विधायी कार्यवाही में सांसदों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
    • निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संसदीय ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा को रोकता है।
    • लोकतंत्र में जवाबदेही के सिद्धांत को कायम रखता है।
  • अपवाद एवं विशेष मामले:
    • सांसद वैध कारणों, जैसे बीमारी, हिरासत में लिये जाने या अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अवकाश के लिये आवेदन कर सकते हैं। 
    • यदि सदन अनुमति दे देता है तो सांसद अपनी सीट बरकरार रख सकता है।
    • कानूनी हिरासत के मामलों में, यदि आवश्यक हो तो अदालतें उपस्थिति की अनुमति देने के लिये हस्तक्षेप कर सकती हैं।