छत्तीसगढ़ में माओवादियों से मुठभेड़
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में सुकमा-बीजापुर सीमा पर माओवादियों के साथ मुठभेड़ में 3 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 14 अन्य घायल हो गए।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक बयान के मुताबिक, यह घटना सुरक्षाकर्मियों की संयुक्त टीम के तलाशी अभियान के दौरान टेकलगुडेम गाँव के पास हुई।
- माओवादियों के गढ़ टेकलगुडेम में सुरक्षाकर्मियों का एक नया शिविर स्थापित किया गया।
- शिविर स्थापित करने के बाद, स्पेशल टास्क फोर्स डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन [CoBRA- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) की एक जंगल वारफेयर यूनिट] के जवान पास के जोनागुडा-अलीगुडा गाँवों की तलाशी ले रहे थे, तभी माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
- सुकमा ज़िला:
- यह ज़िला छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी सिरे पर स्थित है जिसे वर्ष 2012 में दंतेवाड़ा से अलग करके बनाया गया था।
- यह ज़िला अर्द्ध-उष्णकटिबंधीय वन से आच्छादित है और जनजातीय समुदाय गोंड (Gond) की मुख्य भूमि है।
- इस ज़िले से होकर बहने वाली एक प्रमुख नदी सबरी (गोदावरी नदी की सहायक नदी) है।
- कुछ दशकों से यह क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism- LWE) गतिविधियों का मुख्य क्षेत्र बन गया है।
- इस क्षेत्र को ऊबड़-खाबड़ और मुश्किल भौगोलिक स्थानों ने LWE कार्यकर्त्ताओं के लिये एक सुरक्षित ठिकाना बना दिया।
भारत में वामपंथी उग्रवाद
- वामपंथी उग्रवादियों को विश्व के अन्य देशों में माओवादियों के रूप में और भारत में नक्सलियों के रूप में जाना जाता है।
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है। इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।
- यह आंदोलन छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे कम विकसित पूर्वी भारत के राज्यों में फैल गया है।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जो माओत्सेतुंग द्वारा विकसित किया गया है। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF)
- यह आंतरिक सुरक्षा के लिये भारत के प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (गृह मंत्रालय के तहत) में से एक है।
- मूल रूप से वर्ष 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित, यह सबसे पुराने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक है। स्वतंत्रता के बाद, 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम के लागू होने पर यह केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल बन गया।
- इसका मिशन सरकार को कानून के शासन, सार्वजनिक व्यवस्था एवं आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी ढंग से और कुशलता से बनाए रखने, राष्ट्रीय अखंडता को संरक्षित करने व संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखते हुए सामाजिक सद्भाव तथा विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाना है।