खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि
प्रीलिम्स क लिये:अधिदिष्ट फसलें मेन्स के लिये:न्यूनतम समर्थन मूल्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 'आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति' (Cabinet Committee on Economic Affair- CCEA) द्वारा विपणन वर्ष 2020-21 के लिये खरीफ फसलों के 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' (Minimum Support Prices- MSPs) में वृद्धि को मंज़ूरी प्रदान की गई।
प्रमुख बिंदु:
- बजट 2018-19 में MSP को बढ़ाकर भारित औसत उत्पादन लागत (Cost of Production- CoP) का कम-से-कम 1.5 गुना निर्धारित करने की घोषणा की गई थी।
- CCEA द्वारा कृषि तथा संबद्ध गतिविधियों के 3 लाख रुपए तक के मानक अल्पकालिक ऋणों (Standard Short-Term) के पुनर्भुगतान की तारीख को 31 अगस्त, 2020 तक बढ़ा दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):
- ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ कृषि मूल्य में किसी भी प्रकार की तीव्र गिरावट के खिलाफ कृषि उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली बाज़ार हस्तक्षेप की एक प्रणाली है।
- ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों की बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है।
अधिदिष्ट फसल (Mandated Crops):
- सरकार 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ तथा गन्ने के लिये 'उचित और लाभकारी मूल्य' की घोषणा करती है। अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ की फसल, 6 रबी फसल और दो अन्य वाणिज्यिक फसल शामिल हैं। सरकार इस सूची में समय-समय पर वृद्धि करती है।
अधिदिष्ट फसलों के MSP में वृद्धि:
- धान की फसल के लिये MSP को 1,815 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,868 रुपए कर दिया गया है।
- कपास की मध्यम रेशे वाली फसल के लिये MSP को 5,255 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,515 कर दिया गया है।
- जबकि कपास की लंबे रेशे वाली फसल के लिये MSP को 5,550 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,825 कर दिया गया है।
- MSP में अधिकतम वृद्धि नाइजरसीड (काला तिल) (755 रुपए प्रति क्विंटल), तिल (370 रुपए प्रति क्विंटल) तथा उड़द (300 रुपए प्रति क्विंटल) में की गई।
- उच्चतम प्रतिशत वृद्धि बाजरा (83%), उड़द (64%), तूर (58%) मक्का (53%) आदि में की गई है।
कुछ फसलों का MSP:
क्र.सं |
फसल |
संभावित लागत |
MSP |
MSP में वृद्धि |
लागत पर प्रतिफल (%) |
1. |
धान |
1,245 |
1,868 |
53 |
50 |
2. |
बाजरा |
1,175 |
2,150 |
150 |
83 |
3. |
मक्का |
1,213 |
1,850 |
90 |
53 |
4. |
उड़द |
3,660 |
6,000 |
300 |
64 |
5. |
तिल |
4,570 |
6,855 |
370 |
50 |
MSP निर्धारण का महत्त्व:
- देश में कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप फसल प्रतिरूप पद्धतियों को अपनाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित करना।
- जैव विविधता का संरक्षण करते हुए सतत् कृषि प्रणालियों को अपनाना।
- कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना।
- किसानों की आय सुरक्षा की दिशा में नीतियों को अपनाना।
- 'उत्पादन-केंद्रित दृष्टिकोण' (Production-Centric Approach) के स्थान पर 'आय-केंद्रित दृष्टिकोण' (Income-Focused Approach) को अपनाना।
- तिलहन, दलहन, मोटे अनाज जैसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देकर मांग-आपूर्ति के मध्य असंतुलन में सुधार करना।
- क्षेत्र की भूजल स्थिति को ध्यान में रखकर विशिष्ट फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
- पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये विशिष्ट फसलों जैसे मोटे अनाज की कृषि को बढ़ावा देना।
MSP वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- MSP में वृद्धि के परिणामस्वरूप ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ में वृद्धि होने की उम्मीद है। इससे लोगों को महँगाई का सामना करना पड़ सकता है।
- MSP में वृद्धि का देश की राजकोषीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पहले ही खराब स्थिति में है।
किसानों की आय सुरक्षा की दिशा में अन्य पहल:
- ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan- PM-AASHA) योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिये उचित मूल्य दिलाना है, जिसकी घोषणा वर्ष 2018 के केंद्रीय बजट में की गई है। यह योजना किसानों को उनकी उपज का उचित प्रतिफल प्रदान करने में मदद करेगी।
- ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (PM-KISAN) योजना की शुरुआत लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। COVID- 19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडॉउन अवधि के दौरान 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना के तहत लगभग 8.89 करोड़ किसान परिवारों को मई 2020 तक 17,793 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है।
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत पात्र परिवारों को लगभग 1,07,077.85 मीट्रिक टन दाल की आपूर्ति की गई है।
निष्कर्ष:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। पोषक अनाजों का न्यूनतम मूल्य वृद्धि से पोषण सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा। किसानों की आय बढ़ाने में फसलों की विविधता, पशुधन और बागवानी क्षेत्र सर्वाधिक लाभप्रद साबित हो सकते हैं।