भारतीय अर्थव्यवस्था
अगले वित्तीय वर्ष में होगा जीडीपी तथा सीपीआई डाटा के आधार वर्ष में परिवर्तन
- 04 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में घोषणा की गई है कि वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आँकड़ों के आधार वर्ष में परिवर्तन होगा। सरकार की योजना इस वर्ष के अंत तक एक रोज़गार सर्वेक्षण लागू करने की भी है।
वर्तमान आधार वर्ष
- वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिये आधार वर्ष 2011-12, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लिये आधार वर्ष 2012 है।
- सामान्यतः आधार वर्ष में संशोधन, देश के आर्थिक परिदृश्य में होने वाले परिवर्तनों को शामिल तथा समायोजित करने लिये पाँच वर्षों में किया जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
- जीडीपी एक वर्ष के दौरान उत्पादित सभी अंतिम सामानों और सेवाओं के बाज़ार मूल्य की मौद्रिक माप है। सामान्यतः जीडीपी दो प्रकार की होती है:
- नाममात्र जीडीपी (Nominal GDP)
- वास्तविक जीडीपी (Real GDP)
- वास्तविक GDP को मुद्रास्फीति के लिये समायोजित किया जाता है, जबकि नाममात्र GDP को मुद्रास्फीति के लिये समायोजित नहीं किया जाता है। इसलिये यह (Nominal GDP) वास्तविक GDP से हमेशा अधिक दिखाई देती है। उदाहरण के लिये वर्ष 2017-18 के लिये वास्तविक GDP 6.7, जबकि नाममात्र GDP 10 प्रतिशत है। फिर भी वास्तविक GDP को प्रमुखता से दर्शाया जाता है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index -CPI) घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं एवं सेवाओं के औसत मूल्य को मापने वाला एक सूचकांक है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना वस्तुओं एवं सेवाओं के एक मानक समूह के औसत मूल्य की गणना करके की जाती है।
- यह पालिसी ब्याज दर में परिवर्तन का आधार है।