गवर्नर-जनरल और भारत के वायसराय
भूमिका:
भारत पर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक इकाई के रूप में तब शुरू हुआ जब 31 दिसंबर, 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने रानी एलिज़ाबेथ I (Queen Elizabeth I) से रॉयल चार्टर प्राप्त किया। लगभग तीन शताब्दियों की समयावधि के भीतर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक शक्ति से परिवर्तित होकर दुनिया की सबसे बड़ी राजनितिक शक्तियों में से एक हो गए।
एक छोटा सा द्वीपीय देश होने के बावजूद ब्रिटेन दुनिया में सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक के रूप में स्थापित होने में सक्षम हो गया जिसके बारे में अक्सर कहा जाता है कि ‘वह साम्राज्य था जिसका सूर्य कभी अस्त नहीं होता था’।
यह उपलब्धि ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों की मज़बूत एवं कुशल नौकरशाही की पृष्ठभूमि में हासिल की। भारत में उसने ब्रिटिश गवर्नर-जनरल और वायसराय के माध्यम से नियंत्रण स्थापित किया।
- बंगाल का गवर्नर-जनरल (1773-1833): जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई तो उसने ‘बंगाल के गवर्नर’ (Governor of Bengal) पद के माध्यम से बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। बंगाल के पहले गवर्नर ‘रॉबर्ट क्लाइव’ (Robert Clive) थे।
- अन्य प्रेसीडेंसी, बॉम्बे एवं मद्रास के पास अपने स्वयं के गवर्नर थे।
- हालाँकि रेगुलेटिंग एक्ट-1773 के पारित होने के बाद ‘बंगाल के गवर्नर’ पद का नाम बदलकर ‘बंगाल का गवर्नर-जनरल’ रख दिया गया। बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) थे।
- इस अधिनियम (रेगुलेटिंग एक्ट-1773) के माध्यम से बॉम्बे एवं मद्रास के गवर्नर ने बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीन कार्य किया।
- भारत का गवर्नर-जनरल (1833-58): चार्टर एक्ट 1833 द्वारा बंगाल के गवर्नर-जनरल (Governor-General of Bengal) का पदनाम पुनः बदलकर ‘भारत का गवर्नर-जनरल’ (Governor-General of India) कर दिया गया। भारत के पहले गवर्नर-जनरल विलियम बैंटिक (William Bentinck) थे।
- यह पद मुख्य रूप से प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये था और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स को रिपोर्ट करना था।
- वायसराय (1858-1947): वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया और भारत ब्रिटिश ताज के सीधे नियंत्रण में आ गया।
- भारत सरकार अधिनियम 1858 (Government of India Act 1858) पारित हुआ जिसने भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर ‘भारत का वायसराय’ कर दिया।
- वायसराय को सीधे ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था।
- भारत के पहले वायसराय लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning) थे।
- भारत के महत्त्वपूर्ण गवर्नर-जनरल एवं वायसराय तथा उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
गवर्नर-जनरल एवं वायसराय |
शासनकाल के दौरान की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ |
वारेन हेस्टिंग्स (1773-1785) |
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लॉर्ड कार्नवालिस (1786-1793) |
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लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) |
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लॉर्ड मिंटो I (1807-1813) |
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लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-1823) |
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लॉर्ड एमहर्स्ट (1823-1828) |
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लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-1835) |
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लॉर्ड ऑकलैंड (1836-1842) |
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लॉर्ड हार्डिंग I (1844-1848) |
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लॉर्ड डलहौजी (1848-1856) |
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लॉर्ड कैनिंग (1856-1862) |
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लॉर्ड जॉन लॉरेंस (1864-1869) |
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लॉर्ड लिटन (1876-1880) |
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लॉर्ड रिपन (1880-1884) |
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लॉर्ड डफरिन (1884-1888) |
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लॉर्ड लैंसडाउन (1888-1894) |
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लॉर्ड कर्ज़न (1899-1905) |
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लॉर्ड मिंटो II (1905-1910) |
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लॉर्ड हार्डिंग II (1910-1916) |
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लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921) |
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लॉर्ड रीडिंग (1921-1926) |
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लॉर्ड इरविन (1926-1931) |
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लॉर्ड विलिंगडन (1931-1936) |
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लॉर्ड लिनलिथगो (1936-1944) |
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लॉर्ड वैवेल (1944-1947) |
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लॉर्ड माउंटबेटन (1947-1948) |
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चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948-1950) |
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