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प्रश्न :
1907 में कांग्रेस का सूरत विभाजन केवल उदारवादियों और अतिवादियों के मध्य उपस्थित मतभेदों का परिणाम न होकर ब्रिटिश सरकार की रणनीति का प्रतिफल भी था। विवेचना करें।
07 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
1907 के ‘सूरत विभाजन’ की पृष्ठभूमि तो बंग-भंग आंदोलन से ही बननी शुरू हो गई थी, किन्तु तात्कालिक कारण यह था कि अतिवादी चाहते थे कि कांग्रेस का यह अधिवेशन नागपुर में हो, बाल गंगाधर तिलक या लाला लाजपतराय इसके अध्यक्ष बनें तथा इसमें स्वेदशी व बहिष्कार आंदोलन और राष्ट्रीय शिक्षा के पूर्ण समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया जाये। जबकि, उदारवादियों ने अधिवेशन को सूरत में आयोजित करने, रासबिहारी घोष को अध्यक्ष बनाने तथा स्वदेशी, बहिष्कार एवं राष्ट्रीय शिक्षा के प्रस्ताव को वापिस लेने की जोरदार मांग की। दोनों ही पक्षों ने अपना अड़ियल रूख बनाये रखा तथा किसी भी समझौते की संभावना को नकारते हुए कांग्रेस के विभाजन को सुनिश्चित किया था।
किन्तु, यह विभाजन महज़ इन दोनों पक्षों के मध्य के विवादों का ही परिणाम नहीं था। इसके पीछे सरकार की भी सोची समझी रणनीति अपना कार्य कर रही थी। सरकार ने कांग्रेस के प्रारंम्भिक वर्षों से ही उदारवादियों के साथ सहयोगात्मक रूख बनाये रखा था। किन्तु, बाद के वर्षों में स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलनों के उभरने से कांग्रेस के प्रति सरकार का मोह भंग हो गया तथा उसने ‘अवरोध, सांत्वना एवं दमन’ की त्रिचरणीय रणनीति बनाई।
अपनी रणनीति के प्रथम चरण में सरकार ने उदारवादियों को डराने हेतु अतिवादियों के साधारण दमन की नीति अपनाई। द्वितीय चरण में सरकार ने उदारवादियों की कुछ मांगों पर सहमति जताकर उन्हें आश्वासन दिया कि यदि वो खुद को अतिवादियों से दूर रखें तो देश में संवैधानिक सुधार संभव हो सकते हैं। इस प्रकार उदारवादियों को अपने पक्ष में करने के तथा उन्हें अतिवादियों के खिलाफ करने के बाद सरकार के लिये अतिवादियों का दमन करना आसान हो गया।
दुर्भाग्य से उस दौर में जब पूरे राष्ट्र को अपने सभी राष्ट्रवादियों के समन्वित प्रयासों की जरूरत थी, उसी वक्त ये दोनों पक्ष (उदारवादी व अतिवादी) ब्रिटिश नीति के शिकार हो गए एवं उसकी परिणिति सूरत विभाजन के रूप में शामिल आई। कालान्तर में अपना मन्तव्य पूरा करने के पश्चात् सरकार ने उदारवादियों की भी घोर उपेक्षा की। अतः यह कहना उचित प्रतीत होता है कि सूरत विभाजन अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश सरकार की रणनीति का प्रतिफल था।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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