प्रिलिम्स फैक्ट्स: 06 जनवरी, 2021 | 06 Jan 2021

रेलवे का माल ढुलाई व्यवसाय विकास पोर्टल

Freight Business Development Portal of Railways

रेल मंत्रालय ने रेलवे के माल ढुलाई व्यवसाय को बढ़ावा देने तथा इसके विकास के लिये माल ढुलाई व्यवसाय विकास पोर्टल (Freight Business Development Portal) नामक एक विशेष पोर्टल लॉन्च किया है।

Freight-Business

पृष्ठभूमि: 

  • कोरोनोवायरस संकट के चलते यात्री ट्रेन सेवाओं को निलंबित किये जाने के कारण रेलवे अपनी आय के लिये अधिकांशतः माल ढुलाई से प्राप्त राजस्व पर निर्भर है।
  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) माल गाड़ियों की विशेष आवाजाही के लिये 3,342 किलोमीटर के पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है।
    • DFCCIL रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक सरकारी उद्यम है। 

पोर्टल के विषय में: 

  • अपनी तरह का पहला समर्पित माल ढुलाई पोर्टल यह सुनिश्चित करेगा कि सभी कार्य उपभोक्ता केंद्रित हों, लॉजिस्टिक्स प्रदान करने वालों की लागत में कमी आए, आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये ऑनलाइन ट्रैकिंग सुविधा सुनिश्चित हो और माल परिवहन की प्रक्रिया सरल बने।
  • इसका उद्देश्य मानवीय प्रक्रियाओं के स्थान पर ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करना है ताकि मानवीय सहभागिता की आवश्यकता को कम किया जा सके।
  • यह पोर्टल व्यापार-सुगमता, पारदर्शिता और पेशेवर समर्थन प्रदान करने पर केंद्रित है।
  • रेलवे ने 4000 से अधिक माल ढुलाई टर्मिनलों पर 9,000 से अधिक उपभोक्ताओं को माल ढुलाई सेवा प्रदान करने के लिये संग्रहण कर्त्ताओं, ट्रक मालिकों, गोदाम मालिकों तथा श्रम प्रदाताओं को आमंत्रित किया है।

यक्षगान

Yakshagana

हाल ही में साधु कोठारी नामक यक्षगान कलाकार का मंच पर प्रदर्शन करने के दौरान निधन हो गया।

Yakshagana

यक्षगान के विषय में:

  • यक्षगान कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में किया जाने वाला एक प्रसिद्ध लोकनृत्य है। कर्नाटक में यह परंपरा लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है। 
  • यक्षगान का शाब्दिक अर्थ है- यक्ष के गीत।
  • इसमें संगीत की अपनी एक अलग शैली होती है जो भारतीय शास्त्रीय संगीत- कर्नाटक संगीत तथा हिंदुस्तानी संगीत से अलग होती है।
  • इसकी विषय-वस्तु मिथकीय कथाओं तथा पुराणों, विशेष तौर पर रामायण एवं महाभारत पर आधारित होती है।
  • इसे प्रदर्शित करने वाले कलाकार समृद्ध डिज़ाइनों के साथ चटकीले, रंग-बिरंगे परिधानों एवं विशाल मुकुट का प्रयोग करते हैं। 
  • यह संगीत, नृत्य, भाषण और वेशभूषा का एक समृद्ध कलात्मक मिश्रण है, इस कला में संगीत नाटक के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जन मनोरंजन जैसी विशेषताओं को भी महत्त्व दिया जाता है।
  • यक्षगान की कई सामानांतर शैलियाँ हैं जिनकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है।
  • आमतौर पर इसकी कथाएँ कन्नड़ में सुनाई जाती हैं। इसके अलावा मलयालम और तुलू (दक्षिण कर्नाटक की एक बोली) में भी इसका वर्णन किया जाता है।

नोट:

  • तुलू (Tulu) एक द्रविड़ भाषा है, जिसे बोलने-समझने वाले लोग मुख्यतया कर्नाटक के दो तटीय ज़िलों और केरल के कासरागोड ज़िले में रहते हैं।
  • केरल के कासरागोड ज़िले को ‘सप्त भाषा संगम भूमि’ के नाम से भी जाना जाता है, तुलू इन सात भाषाओं में से एक है।
  • तुलू भाषा में उपलब्ध सबसे पुराने अभिलेख 14वीं से 15वीं शताब्दी ईस्वी के बीच की अवधि के हैं।
  • इस नृत्य के दौरान मदाला (एक प्रकार की ढोलक), चांदा, पुंगी (पाइप) और हारमोनियम द्वारा अलग-अलग ताल व लय उत्पन्न की जाती है। 
  • इसके सबसे लोकप्रिय प्रसंग महाभारत (द्रौपदी स्वयंवर, सुभद्रा विग्रह आदि) और रामायण (राज्याभिषेक, लव-कुश कांड आदि) से हैं।

रंगमंच रूप

राज्य

थीम

नौटंकी

उत्तर प्रदेश

इसकी विषय-वस्तु प्रायः प्रेम प्रसंग युक्त फारसी साहित्य पर आधारित होती है।

तमाशा

महाराष्ट्र

इसका विकास गोंधल, जागरण और कीर्तन जैसे लोक कला के रूपों से हुआ है।

भवई

गुजरात

इसके अंतर्गत सामाजिक अन्याय को व्यंग्य के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

जात्रा

पश्चिम बंगालl/ ओडिशा तथा पूर्वी बिहार

इसकी उत्पत्ति भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप बंगाल में हुई। प्रारंभ में चैतन्य (गौड़ीय वैष्णववाद के आध्यात्मिक संस्थापक) प्रभाव के कारण इसे कृष्ण जात्रा के रूप में जाना जाता था। 

कुटियाट्टम

केरल

यह संस्कृत नाट्य परंपरा पर आधारित केरल का सबसे प्राचीन लोकनाट्य है। लगभग 2000 साल पुरानी परंपरा होने के कारण यूनेस्को द्वारा वर्ष 2001 में इसे ‘मानवता की मौखिक एवं अमूर्त विरासत की श्रेष्ठ कृतियों’ की सूची में शामिल किया गया।

मुडियेट्टु

केरल

यह केरल का पारंपरिक अनुष्ठानिक लोकनाट्य है। इसका विषय देवी काली और राक्षस दारिका के मध्य युद्ध पर आधारित होता है। यह अनुष्ठान भगवती या भद्रकाली पंथ का एक हिस्सा है।

भाओना

असम

यह श्रीमंत शंकरदेव (एक असमिया संत-विद्वान) की रचना पर आधारित है, ये नाटक ब्रजावली (जो असमिया और मैथिली मिश्रित एक अद्वितीय भाषा है) में लिखे गए हैं और मुख्य रूप से हिंदू देवता कृष्ण पर केंद्रित हैं।

माच या माचा

मध्य प्रदेश

यह मध्य प्रदेश का संगीतमय लोकनाट्य है। इसमें पौराणिक कथाओं, वीरतापूर्ण ऐतिहासिक प्रसंगों एवं प्रेमाख्यानों से संबंधित विषयों का मंचन किया जाता है। 

भाँड पाथेर

कश्मीर

यह कश्मीर का प्रमुख लोकनृत्य है जो कृषक समुदाय से गहराई से जुड़ा है।


टॉयकथॉन 2021

Toycathon 2021

हाल ही में सरकार ने एक आभासी खिलौना हैकथॉन ‘टॉयकथॉन 2021’ (Toycathon 2021) लॉन्च किया है।

Toycathon-2021

प्रमुख बिंदु:

पहल: 

  • यह पहल शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और तकनीकी शिक्षा के लिये अखिल भारतीय परिषद (AICTE) द्वारा की गई।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य भारतीय मूल्य प्रणाली के आधार पर नवीन खिलौनों की अवधारणा का विकास करना है जो बच्चों में सकारात्मक व्यवहार और अच्छे मूल्यों को बढ़ाएगा।
  • इसके अलावा यह भारत को एक वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र (आत्मनिर्भर अभियान) के रूप में बढ़ावा देगा।

विशेषताएँ:

  • यह भारतीय संस्कृति और लोकाचार, स्थानीय लोककथाएँ तथा नायक एवं भारतीय मूल्य प्रणालियों पर आधारित है।
  • थीम: इसमें फिटनेस, खेल, पारंपरिक भारतीय खिलौनों के प्रदर्शन सहित नौ थीम शामिल हैं।
  • भागीदार: इसमें छात्र, शिक्षक, स्टार्ट-अप और खिलौना विशेषज्ञ भागीदार हैं।
  • पुरस्कार: प्रतिभागियों को 50 लाख रुपए तक का पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है।

लाभ: 

  • एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को आगे बढ़ाने के लिये खिलौने उत्कृष्ट माध्यम हो सकते हैं
    • “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2015 में राज्यों के मध्य समझ और संबंधों को बढ़ाने के लिये की गई थी ताकि भारत की एकता और अखंडता मज़बूत हो।
  • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप शैक्षिक खिलौनों (Educational Toys) के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • यह घरेलू खिलौना उद्योग और स्थानीय निर्माताओं के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा, जो अप्रयुक्त संसाधनों का दोहन करेगा तथा उनकी क्षमता का उपयोग करेगा।
  • यह खिलौना आयात को कम करने में मदद करेगा।
  • हालाँकि भारत में खिलौना बाज़ार 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और 80% खिलौने आयात किये जाते हैं।