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विश्व के प्राचीनतम जीव रूप

  • 16 Apr 2025
  • 3 min read

स्रोत: प्रेस रीडर

साइनोबैक्टीरिया, स्ट्रोमेटोलाइट्स और आर्किया जैसे प्राचीन जीव रूप पृथ्वी की विकासमूलक समुत्थानशक्ति और पारिस्थितिक महत्त्व के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

  • सायनोबैक्टीरिया (नील-हरित शैवाल), जो लगभग 3.5 अरब वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए, ऑक्सीजन प्रकाश संश्लेषण करने वाले पहले जीव थे, जिससे बृहद ऑक्सीकरण घटना (लगभग 2.4 अरब वर्ष पूर्व) घटित हुई, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी का वायुमंडल ऑक्सीजन से समृद्ध हुआ, जिससे जीवन संभव हुआ।
  • स्ट्रोमेटोलाइट्स, सायनोबैक्टीरिया निवह द्वारा निर्मित स्तरित शैल रुपी संरचनाएँ हैं, जो खनिजों को विपाशित करती हैं तथा धीरे-धीरे कठोर होकर शैल का रूप ले लेती हैं। 
    • पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पाए गए प्राचीनतम स्ट्रोमेटोलाइट्स लगभग 3.5 अरब वर्ष प्राचीन हैं, जो प्राचीन सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र की जानकारी के स्रोत हैं।
  • आर्किया एककोशिकीय सूक्ष्मजीव हैं जो बैक्टीरिया से भिन्न होते हैं, तथा इनकी आनुवंशिक विशेषताएँ  यूकैरियोट के समान होती हैं। 
    • इनमें से कई जीव एक्सट्रीमोफाइल हैं, जो विषम वातावरण में जीवित रहते हैं और जैव-भू-रासायनिक चक्रण में योगदान देते हैं। एंडोसिम्बायोटिक सिद्धांत के अनुसार यूकेरियोट्स एक जीवाणु के समावेश के माध्यम से आर्किया से विकसित हुए, जिससे माइटोकॉन्ड्रिया का निर्माण हुआ।
  • आर्मिलारिया ओस्टोया, "विशालकाय कवक", ओरेगन के माल्हेर राष्ट्रीय वन (अमेरिका) में पाया जाने वाला विशालतम जीवित जीव है और 8,000 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जो उल्लेखनीय पारिस्थितिक प्रभुत्व और दीर्घायु को प्रदर्शित करता है।
  • जिन्को बाइलोबा वृक्ष, जो 290 मिलियन वर्ष से भी अधिक प्राचीन है, एक "जीवित जीवाश्म" है जिसके पर्ण जुरासिक काल से ही अपरिवर्तित हैं। 
    • वर्ष 1945 में हुए हिरोशिमा विस्फोट से इसकी उत्तरजीविता संरक्षित रही और इसमें काल प्रभावन का कोई लक्षण नहीं है तथा 600 वर्ष प्राचीन होने के बाद भी इसका अस्तित्व बना हुआ है।

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