प्रारंभिक परीक्षा
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024
- 02 Jan 2025
- 9 min read
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। भारत में वर्ष 2017 और 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और उससे संबंधित मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक मलेरिया मुक्त स्थिति प्राप्त करना है, तथा वर्ष 2027 तक मलेरिया का कोई भी स्थानीय मामला दर्ज नही किया गया है।
मलेरिया
- मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रोग है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है।
- प्लास्मोडियम परजीवी की पाँच प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं तथा साथ ही इनमें से 2 परजीवी प्रजातियाँ (‘पी.फाल्सीपरम’-P. Falciparum एवं ‘पी.वीवाक्स’-P Vivax) ज़्यादा खतरनाक होती हैं।
- मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह भी संक्रमित हो जाता है। जिस व्यक्ति को यह मच्छर काटता है, उसके शरीर में मलेरिया के परजीवी प्रवेश कर जाते हैं। लीवर में पहुँचने के बाद, परजीवी विकसित होते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
- बुखार और फ्लू जैसे लक्षण, जैसे ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान, मलेरिया के लक्षण हैं। उल्लेखनीय है कि मलेरिया का इलाज संभव है और इससे बचा जा सकता है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक निष्कर्ष:
- बर्डन डिजीज़:
- अनुमान है कि वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 263 मिलियन मामले सामने आएंगे है, जो वर्ष 2022 की तुलना में 11 मिलियन अधिक है।
- वैश्विक स्तर पर मलेरिया से होने वाली मृत्यु दर 597,000 रही, जो वर्ष 2020 में 622,000 मृत्यु के साथ गिरावट को दर्शाती है।
- भौगोलिक वितरण:
- WHO के अनुसार अफ्रीकी क्षेत्र में वर्ष 2023 में वैश्विक मलेरिया के 94% मामले तथा मलेरिया से होने वाली 95% मृत्यु दर्ज की गई है।
- पाँच देश - नाइजीरिया (26%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (13%), युगांडा (5%), इथियोपिया (4%), और मोज़ाम्बिक (4%) - वैश्विक मलेरिया के लगभग 52% मामलों के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- वर्ष 2015 से अब तक नौ देशों को मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया जा चुका है, जिनमें वर्ष 2024 में मिस्र भी शामिल है।
- हस्तक्षेप का प्रभाव:
- दो मलेरिया टीकों, RTS,S और R21, के शुरू होने से स्थानिक क्षेत्रों में टीकाकरण कवरेज़ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- बर्डन डिजीज़:
- भारत विशिष्ट निष्कर्ष:
- ऐतिहासिक परिवर्तन: स्वतंत्रता के समय भारत में प्रतिवर्ष मलेरिया के 7.5 करोड़ मामले सामने आते थे, जिनमें से 800,000 लोगों की मृत्यु हो जाती थी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई थी।
- लगातार प्रयासों से मामलों में 97% से अधिक की कमी आई है, जिससे ये वार्षिक आधार पर 2 मिलियन तक कम हो गए हैं, जबकि वर्ष 2023 तक मृत्यु दर घटकर मात्र 83 रह गई है।
- नवीनतम उपलब्धियाँ (2017-2024): वर्ष 2015 से वर्ष 2023 तक मलेरिया के मामले 11,69,261 से घटकर 2,27,564 हो गए और मृत्यु दर 384 से घटकर 83 हो गई, जो 80% की कमी दर्शाती है।
- वार्षिक रक्त परीक्षण दर 9.58 (वर्ष 2015) से बढ़कर 11.62 (वर्ष 2023) हो गई, जिससे शीघ्र पहचान और हस्तक्षेप सुनिश्चित हुआ।
- वर्ष 2024 में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट (HBHI) समूह से बाहर निकल गया, जो एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
- HBHI वैश्विक मलेरिया प्रतिक्रिया पर एक देश-नेतृत्व वाला दृष्टिकोण है।
- ऐतिहासिक परिवर्तन: स्वतंत्रता के समय भारत में प्रतिवर्ष मलेरिया के 7.5 करोड़ मामले सामने आते थे, जिनमें से 800,000 लोगों की मृत्यु हो जाती थी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई थी।
- बर्डन डिजीज़ में कमी:
- हाई बर्डन (High-Burden) वाले राज्यों की संख्या 10 से घटकर 2 हो गई (मिज़ोरम और त्रिपुरा)।
- ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और मेघालय में मीडियम बर्डन (Medium-Burden) की स्थिति उत्पन्न हो गई।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और दादरा और नगर हवेली लो-बर्डन (Low- Burden) में चले गए।
- लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी ने शून्य स्थिति हासिल कर ली है, तथा वे उप-राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन सत्यापन के लिये पात्र हैं।
मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिये सरकारी पहल क्या हैं?
- मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रूपरेखा 2016-2030
- राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम: रोकथाम और नियंत्रण उपायों के माध्यम से मलेरिया सहित विभिन्न वेक्टर जनित रोगों का समाधान करता है।
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राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP): मलेरिया के गंभीर प्रभाव से निपटने के लिये वर्ष 1953 में शुरू किया गया।
- यह तीन मुख्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करता है: DDT के साथ कीटनाशक अवशिष्ट छिड़काव (IRS), मामले की निगरानी और निरीक्षण, और रोगी उपचार।
- 'हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट' (High Burden to High Impact-HBHI) पहल: वर्ष 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में शुरू की गई।
- यह कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों (LLIN) के माध्यम से मलेरिया में कमी लाने पर केंद्रित है।
- मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India): भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा स्थापित, मलेरिया नियंत्रण अनुसंधान पर भागीदारों के साथ सहयोग करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के प्रति मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने के लिये मलेरिया का टीका विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। मलेरिया का प्रभावी टीका विकसित करना क्यों कठिन है? (2010) (a) प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण मलेरिया होता है। उत्तर: (b) |