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रेल की पटरियों के किनारे विंड टर्बाइन

  • 22 Jan 2025
  • 2 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड 

भारतीय रेल (IR) वर्ष 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने की कार्य योजना के भाग के रूप में रेल की पटरियों के साथ वातचलित अथवा विंड टर्बाइनों के उपयोग की संभावना तलाश रहा है। 

  • पश्चिमी रेलवे द्वारा एक प्रायोगिक (Pilot) परियोजना के तहत मिनी वर्टिकल-एक्सिस टर्बाइन संस्थापित किये गए , जो जाने वाली ट्रेनों से उत्पन्न पवन के उपयोग से 1 से 10 किलोवाट बिजली उत्पन्न करते हैं।

संभावित चुनौतियाँ:

  • रसद: संस्थापना संबंधी जटिल प्रक्रिया और विशेष रूप से सीमित स्थान वाले शहरी क्षेत्रों में रखरखाव समन्वय।
  • सुरक्षा: टरबाइन की खराबी से रेलगाड़ियों और यात्रियों को खतरा हो सकता है।
  • पवन की स्थिति: पवन की इष्टतम स्थिति रेलवे कॉरिडोर के स्थानों के अनुरूप नहीं हो सकती है।
  • स्थान का अभाव: ट्रैक पर टर्बाइनों के लिये पर्याप्त स्थान प्राप्त करना कठिन हो सकता है। 
  • आर्थिक व्यवहार्यता: स्थापना और रखरखाव की उच्च लागत।

भारतीय रेल (IR) की नवीकरणीय ऊर्जा प्रगति:

  • नवंबर 2024 तक, भारतीय रेल ने 487 मेगावाट सौर ऊर्जा, 103 मेगावाट पवन ऊर्जा, और 100 मेगावाट अक्षय ऊर्जा संस्थापित की। 
  • कुल 2,014 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता की योजना बनाई गई है, जो वर्ष 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य के अनुरूप है।

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और पढ़ें: भारतीय रेलवे के भविष्य का पुन: अनुमार्गण

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