जल नवाचार चुनौती | 17 Dec 2021
हाल ही में नवाचारों के माध्यम से वैश्विक जल संकट को दूर करने के लिये जल नवाचार चुनौतियों के दूसरे संस्करण की घोषणा की गई है।
प्रमुख बिंदु
- जल नवाचार चुनौती
- इसकी घोषणा ‘अटल इनोवेशन मिशन’, ‘नीति आयोग’ और डेनमार्क के रॉयल दूतावास द्वारा भारत में वर्ष 2020 में ‘भारत-डेनिश द्विपक्षीय हरित रणनीतिक साझेदारी’ के हिस्से के रूप में की गई थी।
- प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से उद्यमिता संचालित प्रौद्योगिकी, ‘ग्रीन ट्रांजीशन’ और ‘हरित सामरिक भागीदारी’ की एक महत्त्वपूर्ण प्रेरक शक्ति है।
- ‘जल नवाचार चुनौती’ इस अवधारणा को बढ़ावा देगी और इसे ज़मीनी स्तर पर लागू भी करेगी।
- यह सहयोग भारत में और वैश्विक स्तर पर स्थायी जल आपूर्ति में सुधार के लिये समाधान प्रदान करेगा।
- इस चुनौती के विजेता ‘अंतर्राष्ट्रीय जल काॅन्ग्रेस-2022’ में भी भारत का प्रतिनिधित्त्व करेंगे।
- इसकी घोषणा ‘अटल इनोवेशन मिशन’, ‘नीति आयोग’ और डेनमार्क के रॉयल दूतावास द्वारा भारत में वर्ष 2020 में ‘भारत-डेनिश द्विपक्षीय हरित रणनीतिक साझेदारी’ के हिस्से के रूप में की गई थी।
- उद्देश्य
- इस पहल का उद्देश्य कॉर्पोरेट और सार्वजनिक भागीदारों के सहयोग से प्रस्तावित चुनौतियों को हल करने के लिये जल क्षेत्र में नवीन तथा अगली पीढ़ी के समाधानों की पहचान करना है।
- यह पहल देश भर के अग्रणी विश्वविद्यालयों और नवाचार केंद्रों से युवा प्रतिभाओं को अपने कौशल का निर्माण करने तथा अपने तकनीकी विषयों एवं नवाचार क्षमता को लागू करने हेतु संलग्न करेगी।
- इस पहल का उद्देश्य कॉर्पोरेट और सार्वजनिक भागीदारों के सहयोग से प्रस्तावित चुनौतियों को हल करने के लिये जल क्षेत्र में नवीन तथा अगली पीढ़ी के समाधानों की पहचान करना है।
- आवश्यकता
- भारत के लिये यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत वर्तमान में बड़े पैमाने पर जल चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो हाल के वर्षों में सबसे ज़रूरी नीतिगत मुद्दों में से एक बन गया है।
- प्रमुख समस्या भूमिगत जल स्तर में गिरावट, असुरक्षित पेयजल, अपर्याप्त सीवरेज़ सिस्टम के कारण जल की कमी, पानी तक पहुँच और भारत की प्रमुख नदियों को प्रदूषित करने वाले अनुपचारित अपशिष्ट जल से संबंधित है।
हरित रणनीतिक साझेदारी
- सितंबर 2020 में, भारत और डेनमार्क दोनों देश के प्रधानमंत्रियों की अध्यक्षता में दूरगामी लक्ष्यों वाली ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ (Green Strategic Partnership) के रूप में एक नए युग की शुरुआत की है।
- भारत और डेनमार्क दोनों के पास जलवायु एजेंडे के भीतर महत्त्वपूर्ण लक्ष्य हैं तथा दोनों देश दिन-प्रतिदिन अधिक टिकाऊ प्रथाओं को शामिल कर रहे हैं।
- हरित रणनीतिक साझेदारी एक संपूर्ण ढांँचा प्रदान करती है क्योंकि यह इस बात पर ज़ोर देती है कि किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ग्रीन ट्रांसमिशन (Green Transition) को तीव्र करने और वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है।
- यह साझेदारी आर्थिक संबंधों के विस्तार, हरित विकास और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों के सहयोग पर केंद्रित है।
- हरित विकास शब्द उस आर्थिक विकास को वर्णित करने के लिये प्रयोग किया जाता है जो प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी तरीके से उपयोग करता है।
- विशिष्ट प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता वाली डेनमार्क कंपनियों ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के प्रमुख क्षेत्र सहित अपने वायु प्रदूषण नियंत्रण लक्ष्यों को पूरा करने में भारत की मदद करने की पेशकश की है।
- साझेदारी के तहत अन्य प्रमुख बिंदुओं में कोविड -19 महामारी से निपटना, जल का दक्षतापूर्ण उपयोग और इसके दुरूपयोग को रोकने हेतु सहयोग शामिल है।
- बड़ी संख्या में डेनमार्क फर्मों वाले क्षेत्रों में भारत-डेनमार्क ऊर्जा पार्कों का निर्माण और भारतीय जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिये एक भारत-डेनमार्क कौशल संस्थान का प्रस्ताव किया गया है।
- हरित रणनीतिक साझेदारी हेतु यह सहयोग मौजूदा संयुक्त आयोग और मौजूदा संयुक्त कार्य समूहों पर आधारित है।