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विश्वामित्री नदी और कच्छ मगरमच्छ
- 13 Feb 2025
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
गुजरात सरकार ने वडोदरा की विश्वामित्री नदी में मगर अथवा कच्छ मगरमच्छ (Crocodylus palustris) की संख्या का अनुमान लगाने के लिये मगरमच्छों की गणना की।
- विश्वामित्री नदी: यह नदी गुजरात में पावागढ़ पहाड़ियों (पश्चिमी घाट का भाग) से निकलती है और वडोदरा से होकर बहती है तथा खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियाँ ढाढर और खानपुर इसमें मिलती हैं।
- इसके तटों पर स्थित अधिवास 1000 ईसा पूर्व प्राचीन हैं, जिनमें अंकोटक्का (अब अकोटा) भी शामिल है, जो गुप्त और वल्लभी शासन के दौरान विकसित हुई थी।
- इसमें कच्छ मगरमच्छ, अलवणीय जल के कछुए और मॉनिटर लिज़ार्ड पाई जाती हैं, जो इसे शहरी नदियों के बीच पारिस्थितिक रूप से अद्वितीय बनाती हैं।
- मगर अथवा कच्छ मगरमच्छ: ये भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल में पाए जाते हैं तथा पश्चिम की ओर पूर्वी ईरान तक इनका विस्तारण है जहाँ यह मुख्यतः नदियों, झीलों और दलदलों जैसे अलवणीय जल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- यह मुख्यतः गंगा नदी बेसिन (बिहार और झारखंड), चंबल नदी (राजस्थान तथा मध्य प्रदेश) और गुजरात सहित भारत के 15 राज्यों में पाया जाता है।
- ये मछली, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी जीवों का भक्षण करते हैं। ये प्रजाति विवर नीडन (Hole-Nesting) करती हैं, जो शुष्क ऋतु के दौरान 25 से 30 अंडे देती हैं और इनकी ऊष्मायन अवधि 55 से 75 दिन की होती है।
- इस प्रजाति को आवास नाश, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे खतरों का सामना करना पड़ता है।
- संरक्षण: सुभेद्य (IUCN), CITES (परिशिष्ट I), और अनुसूची I (भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972)।
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