उत्तर प्रदेश के 7 उत्पादों को जीआई टैग | 28 Jun 2023
अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक शिल्प के लिये प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के सात विशिष्ट उत्पादों को हाल ही में चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री द्वारा भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है।
GI टैग प्रदान किये गए 7 उत्पाद:
- अमरोहा ढोलक:
- अमरोहा ढोलक प्राकृतिक लकड़ी से बना एक वाद्ययंत्र है।
- इसके निर्माण के लिये आम, कटहल और सागौन की लकड़ी सबसे उपयुक्त है।
- इसे मढ़ने के लिये पशुओं की खाल, आमतौर पर बकरी की खाल का उपयोग किया जाता है।
- अमरोहा ढोलक प्राकृतिक लकड़ी से बना एक वाद्ययंत्र है।
- बागपत होम फर्निशिंग/घरेलू साज-सज्जा:
- बागपत और मेरठ अपने विशिष्ट हथकरघा घरेलू साज-सज्जा उत्पादों के लिये सुप्रसिद्ध हैं।
- बुनाई प्रक्रिया में सूती धागे का उपयोग किया जाता है, यह कार्य मुख्य रूप से करघे पर किया जाता है।
- बाराबंकी हथकरघा उत्पाद:
- बाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्रों में 50,000 से अधिक बुनकर और 20,000 करघे हैं।
- बाराबंकी क्लस्टर का वार्षिक राजस्व 150 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- बाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्रों में 50,000 से अधिक बुनकर और 20,000 करघे हैं।
- कालपी हस्तनिर्मित कागज़:
- कालपी हस्तनिर्मित कागज़ निर्माण के लिये पहचाना जाता है।
- इस शिल्प को पहली बार 1940 के दशक में गांधीवादी मुन्नालाल "खद्दरी" द्वारा पेश किया गया था, जबकि इसकी जड़ें कालपी के इतिहास में बहुत पुरानी हो सकती हैं।
- कालपी हस्तनिर्मित कागज़ निर्माण के लिये पहचाना जाता है।
- महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प:
- महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प महोबा के अद्वितीय पत्थर शिल्प का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर, जिसे वैज्ञानिक रूप से 'पाइरो फ्लाइट स्टोन' के नाम से जाना जाता है, एक नरम और चमकदार सफेद रंग का पत्थर है जो मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाया जाता है।
- मैनपुरी तारकशी:
- मैनपुरी तारकशी एक लोकप्रिय कला है तथा इसमें लकड़ी पर पीतल का तार जड़ा जाता है।
- मैनपुरी तारकशी घरेलू आवश्यकता रही है जिसका परंपरागत रूप से खड़ाऊ (लकड़ी के सैंडल) को सजाने में उपयोग किया जाता है।
- स्वच्छता के संबंध में सांस्कृतिक विचारों के कारण चमड़े के विकल्प तलाशे गए हैं।
- संभल हार्न क्राफ्ट:
- संभल हॉर्न क्राफ्ट में मृत पशुओं से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग किया जाता है तथा यह शिल्प पूरी तरह से हस्तनिर्मित है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- परिचय:
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- उदाहरण के लिये दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क आदि।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- कानूनी ढाँचा और दायित्व:
- वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण के साथ उच्च सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर WTO के समझौते द्वारा शासित और निर्देशित है।
- इसके अतिरिक्त बौद्धिक संपदा के अभिन्न घटकों के रूप में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के महत्त्व को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 में स्वीकार किया गया, साथ ही इस पर अधिक बल दिया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको 'भौगोलिक सूचना (जिओग्राफिकल इंडिकेशन)' की स्थिति प्रदान की गई है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत में माल के भौगोलिक संकेत (रजिस्ट्रेशन और संरक्षण) अधिनियम,1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्वों के अनुपालन के लिये लागू किया गया था?(2018) (a) आई.एल.ओ. उत्तर: (d) |