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पशुओं के तरल अपशिष्ट का उर्वरक में परिवर्तन

  • 13 Mar 2025
  • 2 min read

स्रोत: TH

वैज्ञानिकों ने मूत्र से यूरिया का निष्कर्षण करने हेतु एक नवीन विद्युत-रासायनिक तकनीक विकसित की है, जो अपशिष्ट जल उपचार चुनौतियों का समाधान करते हुए इसे उर्वरक में परिवर्तित करेगी।

  • नई विद्युत रासायनिक प्रक्रिया मूत्र के यूरिया को परकार्बामाइड में परिवर्तित करती है, जो एक क्रिस्टलीय परॉक्साइड व्युत्पन्न है जिसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
    • इसने मानव और पशु दोनों के मूत्र से परकार्बामाइड का निष्कर्षण करने में लगभग पूर्ण शुद्धता हासिल कर ली है।
    • निष्कर्षित परकार्बामाइड से क्रमिक रूप में नाइट्रोजन उत्सर्जित होता है, जिससे फसल की वृद्धि बढ़ती है और नाइट्रोजन चक्र पूरा होता है।
  • मूत्र में फास्फोरस, पोटेशियम और नाइट्रोजन (यूरिया) जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इसे एक संभावित प्राकृतिक उर्वरक बनाते हैं।
  • एक वयस्क व्यक्ति प्रतिवर्ष 450-680 लीटर मूत्र उत्पादित करता है, जिससे 4 किलोग्राम नाइट्रोजन और 0.3 किलोग्राम फॉस्फोरस उत्पन्न होता है, जो एक वर्ष तक प्रतिदिन एक रोटी के लिये गेहूँ उगाने के लिये पर्याप्त है।
  • यह स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के तहत ODF++ स्थिति प्राप्त करने में मदद कर सकता है, जिसमें GHG उत्सर्जन को कम करने के लिये ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन और डेयरी क्षेत्र शामिल हैं।

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 और पढ़ें: स्वच्छ भारत मिशन-शहरी

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