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पूर्वोत्तर भारत को सैफरन हब में बदलना

  • 17 Mar 2025
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत ने जम्मू-कश्मीर के पंपोर के बाद पूर्वोत्तर को भारत के अगले सैफरन (केसर) उत्पादन केंद्र के रूप में चिन्हित किया है। मिशन सैफरन के हिस्से के रूप में इस पहल पर शिलांग में नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (NECTAR) के स्थायी परिसर के शिलान्यास समारोह के दौरान प्रकाश डाला गया।

  • मिशन सैफरन: यह जम्मू और कश्मीर में सैफरन (केसर) की कृषि को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2010-11 में शुरू की गई एक केंद्रीय वित्तपोषित परियोजना है। वर्ष 2021 के बाद से, NECTAR द्वारा "सैफरन बाउल प्रोजेक्ट" के तहत इसका विस्तार सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय तक हो गया है।
  • केसर: यह अत्यंत मूल्यवान मसाला है जो Crocus sativus पुष्प के वर्तिकाग्र से प्राप्त होता है, जिसे केसर क्रोकस के नाम से जाना जाता है।
    • केसर की कृषि 2000 मीटर के उन्नतांश पर, दोमट, रेतीली अथवा चूनेदार मृदा में होती है, जिसके लिये उपयुक्त pH 6-8 होता है, तथा इसके लिये ग्रीष्म ऋतु में 40 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान और शीत ऋतु में -20 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ शुष्क से मध्यम जलवायु की आवश्यकता होती है।
    • कश्मीरी केसर को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है।
  • NECTAR: यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीन वर्ष 2014 में स्थापित एक स्वायत्त निकाय है जो पूर्वोत्तर में कृषि, बुनियादी ढाँचे और आर्थिक विकास के परिवर्द्धन हेतु प्रौद्योगिकी संचालित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करता है।

Saffron

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