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कृषि

कश्मीर में केसर उत्पादन में गिरावट

  • 11 Jan 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केसर, भौगोलिक संकेतक, नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, केसर की खेती और इसका महत्त्व।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

विश्व के सबसे महँगे मसाले के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध कश्मीर में केसर के खेत सीमेंट कारखानों के अतिक्रमण के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।

  • 11-12 टन के औसत वार्षिक उत्पादन के साथ, ईरान के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा केसर उत्पादक होने के बावजूद, क्षेत्र का केसर व्यवसाय घट रहा है, जिससे स्थानीय किसानों के लिये आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

केसर उत्पादन में गिरावट के लिये कौन-से कारक योगदान देते हैं?

  • सीमेंट कारखानों से निकटता:
    • केसर के खेतों के नज़दीक स्थित सीमेंट कारखाने बड़ी मात्रा में धूल उत्सर्जित करते हैं, जिससे केसर की उपज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को नुकसान पहुँचता है।
      • पुलवामा में केसर के खेतों में सीमेंट प्रदूषण के कारण पिछले 20 वर्षों में केसर की खेती में 60% की गिरावट देखी गई है।
  • सीमेंट की राख का प्रभाव:
    • नाइट्रोज़न ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों वाली सीमेंट की राख से नाज़ुक केसर के फूलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
    • बड़ी मात्रा में सीमेंट की राख के परिणामस्वरूप पत्तियों में क्लोरोफिल अवरुद्ध रंध्र (पौधे के ऊतकों में छोटे छिद्र जो गैस विनिमय की अनुमति देते हैं) में कमी आती है, प्रकाश अवशोषण और गैस प्रसार बाधित होता है, जिससे पत्तियाँ जल्दी गिर जाती हैं तथा परिणामस्वरूप विकास रुक जाता है।
      • सीमेंट की राख केसर के रंग के लिये ज़िम्मेदार क्रोसिन सामग्री पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे कश्मीरी केसर के रंग, औषधीय गुण और कॉस्मेटिक लाभ प्रभावित होते हैं।
  • पर्यावरणीय कारक:
    • जलवायु परिवर्तन, अप्रत्याशित वर्षा और आवास एवं उद्योगों के लिये भूमि परिवर्तन के कारण केसर का उत्पादन कम हो गया है।
      • जुताई के लिये मशीनों का उपयोग भी केसर की खेती को प्रभावित करता है जो अनुकूल जलवायु पर अत्यधिक निर्भर है।
  • सरकारी हस्तक्षेप की कमी:
    • किसानों ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए वर्ष 2005 से केसर के खेतों के पास सीमेंट कारखानों की स्थापना का विरोध किया है।
      • विरोध और अपील के बावजूद, अधिकारियों ने केसर की खेती के करीब सीमेंट उद्योगों को संचालित करने की अनुमति दे दी है।
  • बाज़ार की चुनौतियाँ:
    • केसर किसानों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इससे मसाला बाज़ार प्रभावित हो रहा है।
      • किसान कीमतों, मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हैं, जिससे उद्योग का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

कश्मीरी केसर से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • केसर का उत्पादन तथा कीमत:
    • केसर का उत्पादन लंबे समय से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित रहा है।
      • भारत में पंपोर क्षेत्र जिसे आमतौर पर कश्मीर के केसर के कटोरे के रूप में जाना जाता है, केसर उत्पादन में मुख्य योगदानकर्त्ता है।
    • केसर फूल (क्रोकस सैटिवस L) के वर्तिकाग्र (Stigma) (नर जनन अंग) से निकाले गए केसर मसाले को कश्मीरी में कोंग, उर्दू में ज़ाफरान तथा हिंदी में केसर के रूप में जाना जाता है।
      • कश्मीरी केसर की कीमत बहुत अधिक है जो 3 लाख रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचा जाता है।
      • एक ग्राम केसर लगभग 160-180 फूलों से प्राप्त होता है जिसके लिये व्यापक श्रम की आवश्यकता होती है।

  • सीज़न:
    • भारत में केसर कॉर्म (बीज) की खेती जून तथा जुलाई के महीनों के दौरान एवं कुछ क्षेत्रों में अगस्त व सितंबर में की जाती है।
    • इसमें अक्तूबर में फूल आना शुरू हो जाता है।
  • कृषि की परिस्थितियाँ:
    • ऊँचाई: समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊँचाई केसर की खेती के लिये अनुकूल होती है। इसे 12 घंटे की फोटोपीरियड (सूर्य का प्रकाश) की आवश्यकता होती है।
    • मृदा: इसे अलग-अलग प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है किंतु कैलकेरियस (वह मिट्टी जिसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम कार्बोनेट होता है) एवं ह्यूमस युक्त तथा सु-अपवाहित मृदा, जिसका  pH 6 और 8 के बीच हो, में  केसर का अच्छा उत्पादन होता है। 
    • जलवायु: केसर की खेती के लिये एक उपयुक्त गर्मी और सर्दियों वाली जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें गर्मियों में तापमान 35 या 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो तथा सर्दियों में लगभग -15  या -20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता हो।
    • वर्षा: इसके लिये पर्याप्त वर्षा की आवश्यकता होती है यानी प्रतिवर्ष 1000-1500 मिमी. है।
  • क्रोसिन की मात्रा तथा रंग:
    • कश्मीरी केसर में 8% क्रोसिन होता है जबकि इसकी अन्य किस्मों में यह 5-6% होता है।
  • कश्मीरी केसर के लाभ:
    • यह रक्तचाप को कम करने, अरक्तता, माइग्रेन का इलाज करने तथा अनिद्रा में सहायता करने जैसे औषधीय गुणों के लिये जाना जाता है।
    • इसमें सौदर्य प्रसाधन संबंधी लाभ भी होते हैं जिसके इस्तेमाल से त्वचा की गुणवत्ता बढ़ती है एवं रंजकता व धब्बे कम होते हैं।
    • यह पारंपरिक व्यंजनों का अभिन्न अंग रहा है तथा इसका व्यापक रूप से पेय पदार्थों, मिष्टान्न, डेयरी उत्पादों एवं खाद्य रंगों में उपयोग किया जाता है।
  • मान्यता:
    • वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में उगाए जाने वाले केसर को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication- GI) प्रमाणन प्रदान किया।
    • कश्मीर की केसर विरासत विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणालियों (Globally Important Agricultural Heritage systems- GIAHS) में से एक है।
      • GIAHS कृषि पारिस्थितिकी तंत्र हैं जहाँ समुदाय अपने क्षेत्रों के साथ परस्पर संबंध बनाए रखते हैं। कृषि जैवविविधता, पारंपरिक ज्ञान तथा सतत् प्रबंधन द्वारा चिह्नित इन स्थिति-स्थापक क्षेत्रों में किसान, चरवाहे, मछुआरे तथा वन में जीवन व्यतीत कर रहे लोग शामिल होते हैं जो आजीविका व खाद्य सुरक्षा में योगदान करते हैं।
      • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपने GIAHS कार्यक्रम के माध्यम से विश्व भर में 60 से अधिक ऐसे क्षेत्रों को मान्यता प्रदान की है।

केसर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भारत में पहल

  • राष्ट्रीय केसर मिशन (National Saffron Mission- NSM):
    • NSM को जम्मू और कश्मीर में केसर की कृषि का समर्थन करने के लिये वर्ष 2010-11 में लॉन्च किया गया था। यह मिशन राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) का हिस्सा था और इसका उद्देश्य कश्मीर में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना था।
  • नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (NECTAR):
    • यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय है, जिसने भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र में समान गुणवत्ता एवं उच्च मात्रा के साथ केसर के उपज की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिये एक प्रमुख परियोजना का समर्थन किया है। 

आगे की राह 

  • केसर के खेतों पर सीमेंट कारखानों के प्रभाव को कम करने के लिये सख्त पर्यावरण नियमों को पारित कर लागू करने की आवश्यकता है।
    • केसर की खेती वाले क्षेत्रों के आस-पास प्रदूषण में योगदान देने वाले उद्योगों के लिये नियमित निगरानी और ज़ुर्माना सुनिश्चित की जानी चाहिये।
  • चिंताओं को दूर करने और स्थायी समाधान खोजने के लिये सरकार तथा केसर उत्पादकों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता है।
  • आय के वैकल्पिक स्रोतों की पेशकश करते हुए, केसर किसानों की आजीविका में विविधता लाने की पहल का समर्थन करने की आवश्यकता है।
  • केसर की कृषि में अनुसंधान और विकास के लिये धन आवंटित किया जाना चाहिये, पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति केसर के संधारणीय किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
    • ऐसी तकनीक में निवेश किया जाना चाहिये जो केसर की फसलों पर प्रदूषकों के प्रभाव को कम करे, सतत् विकास सुनिश्चित करे और गुणवत्ता बनाए रखे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

Q1. FAO, पारंपरिक कृषि प्रणालियों को सार्वभौम रूप से महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important Agricultural Heritage System- GIAHS)' की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016) 

  1. अभिनिर्धारित GIAHS के स्थानीय समुदायों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, आधुनिक कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना जिससे उनकी कृषि उत्पादकता अत्यधिक बढ़ जाए। 
  2. पारितंत्र-अनुकूली परम्परागत कृषि पद्धतियाँ और उनसे संबंधित परिदृश्यों (लैंडस्केप), कृषि जैवविविधता तथा स्थानीय समुदायों के ज्ञानतंत्र का अभिनिर्धारण एवं संरक्षण करना। 
  3. इस प्रकार अभिनिर्धारित GIAHS के सभी भिन्न-भिन्न कृषि उत्पादों को भौगोलिक सूचक (जिओग्राफिकल इंडिकेशन) की हैसियत प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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