बाघ गणना 2022 | 11 Apr 2023
भारत के प्रधानमंत्री द्वारा भारत की बाघ गणना 2022 के 5वें चक्र के आँकड़े जारी किये गए हैं, जिसमें पिछले चार वर्षों से 6.7% की वृद्धि को दर्शाया गया है।
- बाघों की गणना में भारत के 20 राज्यों के वन्य आवासों को शामिल किया गया है। इसमें 32,588 स्थानों पर कैमरा लगाए गए और इनसे 47,081,881 तस्वीरें ली गईं।
- प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कर्नाटक के मैसूर में आयोजित इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBC) का उद्घाटन करते हुए यह गणना जारी की है।
IBCA:
- IBCA को बाघ, शेर, हिम तेंदुआ, तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के लिये शुरू किया गया है।
- इसके सदस्यों में 97 देश शामिल हैं।
- IBCA इस संबंध में साझेदारी, क्षमता निर्माण, पर्यावरण-पर्यटन पर बल देने पर केंद्रित है।
- इससे सूचना का प्रसार होने के साथ सदस्यों के बीच जागरूकता विकसित होगी।
मुख्य बिंदु:
- संख्या:
- वर्ष 2018 से वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या में 200 की वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में बाघों की संख्या 3,167 है, जो 2018 में 2,967 थी।
- वृद्धि दर:
- वर्ष 2014-2018 के दौरान इनकी वृद्धि दर लगभग 33% थी जो वर्ष 2018 से 2022 के दौरान घटकर 6.7% रह गई।
- संख्या में वृद्धि:
- शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जबकि झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बाघों की संख्या में गिरावट देखी गई है।
- उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों और ब्रह्मपुत्र के मैदानों में 194 बाघों को कैमरा में ट्रैप किया गया था और नीलगिरी क्लस्टर में विश्व स्तर पर बाघों की सबसे अधिक संख्या है।
- गिरावट:
- नवीनतम विश्लेषण से पता चला है कि पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आई है। वायनाड और बिलीगिरिरंगा पहाड़ियों में काफी गिरावट देखी गई।
- उच्च संरक्षण प्राथमिकता:
- सिमलीपाल में आनुवंशिक रूप से अनूठी और कम आबादी वाले बाघों की को भी उच्च संरक्षण प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया है।
- यह रिपोर्ट अलग-अलग आबादी के साथ-साथ सतत् आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिये वैश्विक बाघ संरक्षण तकनीकों की सिफारिश करती है।
बाघों के संरक्षण की आवश्यकता:
- जैव विविधता: बाघ परभक्षी की श्रेणी में शीर्ष हैं और अपने आवासों के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे शिकार की आबादी को विनियमित करने में मदद करते हैं और यह पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
- पर्यटन: बाघ भारत जैसे देशों में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं और पर्यावरण पर्यटन के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने में मदद करते हैं। यह राजस्व स्थानीय समुदायों को समर्थन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर सकता है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: बाघ हिंदू एवं बौद्ध धर्म सहित कई संस्कृतियों और धर्मों में एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक हैं।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: बाघ वैज्ञानिक अनुसंधान का एक महत्त्वपूर्ण विषय हैं, क्योंकि यह एक कीस्टोन प्रजाति हैं तथा उनका संरक्षण उनके पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
- जलवायु परिवर्तन: बाघ एक संकेतक प्रजाति है, जिसका अर्थ है कि उनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेत देती है। बाघों का संरक्षण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
भारत में बाघों की गणना:
- राष्ट्रीय बाघ गणना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा राज्य वन विभागों, संरक्षण NGOs और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के साथ साझेदारी में प्रत्येक चार वर्ष में की जाती है। गणना ज़मीन-आधारित सर्वेक्षणों तथा कैमरा-ट्रैप से छवियों के आधार पर एक संयुग्मित नमूना पद्धति का उपयोग करती है।
बाघ से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस
- भारतीय उप-प्रजाति: पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस
- पर्यावास:
- इसका पर्यावास भारतीय उपमहाद्वीप और सुमात्रा पर साइबेरियाई समशीतोष्ण वनों से लेकर उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय वनों तक विस्तृत है।
- यह सबसे बड़ी बिल्ली की प्रजाति है और पैंथेरा जीनस का सदस्य है।
- परंपरागत रूप से बाघों की आठ उप-प्रजातियों को मान्यता दी गई है, जिनमें से तीन विलुप्त हो चुकी हैं।
- बंगाल टाइगर: भारतीय उपमहाद्वीप
- कैस्पियन टाइगर: मध्य और पश्चिम एशिया से तुर्की तक (विलुप्त)
- अमूर टाइगर: रूस, चीन और उत्तर कोरिया का अमूर नदी क्षेत्र
- जावा टाइगर: जावा, इंडोनेशिया (विलुप्त)
- दक्षिण चीन टाइगर: दक्षिण मध्य चीन
- बाली टाइगर: बाली, इंडोनेशिया (विलुप्त)
- सुमात्रा टाइगर: सुमात्रा, इंडोनेशिया
- इंडो-चाइनीज टाइगर: प्रायद्वीपीय दक्षिण-पूर्वी एशिया
- खतरे:
- पर्यावास हानि, पर्यावास विखंडन और अवैध शिकार
- सुरक्षा की स्थिति:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972: अनुसूची I
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ रेड लिस्ट: विलुप्त होने के कगार पर
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES): परिशिष्ट I
- भारत में टाइगर रिज़र्व:
- कुल संख्या: NTCA के अनुसार 53
- सबसे बड़ा: मुख्य क्षेत्र के आधार पर ,आंध्र प्रदेश का नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व
- सबसे छोटा: मुख्य क्षेत्र के आधार पर असम में ओरांग टाइगर रिज़र्व।
संबंधित पहल:
- प्रोजेक्ट टाइगर 1973: यह वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA): यह MoEFCC के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, इसको वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था। NTCA का गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 L (1) के तहत किया गया है।
- कंजर्वेशन एश्योर्डIबाघ मानक: CAITS मानकों का एक समूह है, जो बाघ स्थलों को यह निर्धारित करने में सक्षम बनाता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघ संरक्षण सफल होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020) (a) कॉर्बेट उत्तर: (c)
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