ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (TECC) | 30 Oct 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में चीन ने मुंबई में ताइवान सरकार द्वारा ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (TECC) की स्थापना पर अपना विरोध जताया है। यह भारत में ताइवान का तीसरा कार्यालय है, इससे पहले नई दिल्ली (1995) और चेन्नई (2012) में भी कार्यालय खोले गए थे।
TECC:
- वर्ष 1993 में भारत और ताइवान ने प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किये: ताइपे में भारत-ताइपे एसोसिएशन और नई दिल्ली में TECC।
- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे अन्य देश भी वीज़ा सेवाओं और सांस्कृतिक-आर्थिक आदान-प्रदान का समर्थन करने के लिये ऐसे केंद्र बनाए रखते हैं।
TECC पर चीन का रुख:
- चीन का आधिकारिक रुख यह है कि केवल एक ही चीन है, जिसमें ताइवान एक अविभाज्य अंग है, तथा पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) एकमात्र वैध सरकार है।
- भारत ने वर्ष 1950 में PRC को मान्यता दी थी, जिससे वह ऐसा करने वाले सबसे पहले देशों में से एक बन गया, तथा वह आधिकारिक तौर पर ताइवान को मान्यता नहीं देता है।
भारत-ताइवान संबंध:
- स्वतंत्रता के बाद, भारत ने ताइवान या चीन गणराज्य को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी, तथा ताइवान के साथ उसके राजनयिक संबंध भी नहीं थे। हालाँकि, वर्ष 1995 में, भारत और ताइवान ने अनौपचारिक संबंध स्थापित किये, प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किये।
- पिछले कुछ वर्षों में ताइवान के प्रति भारत का दृष्टिकोण काफी बदल गया है तथा संबंधों में भी काफी प्रगति हुई है।
- 2000 के दशक में भारत के आर्थिक उत्थान और बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय छवि ने ताइवान के भारत के साथ संबंध को सुगम बनाया।
- ताइवान के विदेश मंत्रालय की वर्ष 2023 की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि भारत-ताइवान व्यापार वर्ष 2006 में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 8.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- एक प्रमुख प्रौद्योगिकी केंद्र और शीर्ष सेमीकंडक्टर उत्पादक के रूप में, ताइवान भारत के साथ मज़बूत संबंधों में रुचि रखता है, तथा इसकी वर्ष 2016 की "न्यू साउथबाउंड पॉलिसी" का लक्ष्य एकल बाज़ारों, विशेष रूप से चीन पर निर्भरता को कम करना है।
अधिक पढ़ें: चीन-ताइवान संघर्ष