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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मुंबई में TECC के साथ ताइवान ने भारत में उपस्थिति का विस्तार किया

  • 10 Jul 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चीन-ताइवान संघर्ष, भारत-ताइवान संबंध, वन चाइना पॉलिसी

मेन्स के लिये:

भारत-ताइवान संबंध, भारत-ताइवान आर्थिक संबंधों में चुनौतियाँ और अवसर, भू-राजनीतिक निहितार्थ

चर्चा में क्यों ?  

हाल ही में, ताइवान ने भारत में, विशेष रूप से मुंबई में, अपना तीसरा प्रतिनिधि ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (Taipei Economic and Cultural Center TECC) खोलने की योजना की घोषणा की है।

  • TECC की स्थापना संबंधी पहल का उद्देश्य ताइवान और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाना और द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना है।
  •  पहली बार TECC की स्थापना वर्ष 1995 में दक्षिण एशिया में नई दिल्ली, भारत में की गई थी। ताइवान ने बाद में वर्ष 2012 में चेन्नई में एक और TECC खोला।

चीन की प्रतिक्रिया और भू-राजनीतिक निहितार्थ:

  • चीन अन्य देशों द्वारा ताइवान के किसी भी आधिकारिक संपर्क या मान्यता का विरोध करता है, यह कहते हुए कि यह ‘वन चाइना पॉलिसीका उल्लंघन करता है।
  • चीन नए कार्यालय के उद्घाटन पर आपत्ति व्यक्त करके और राजनयिक या आर्थिक उपाय अपनाकर प्रतिक्रिया दे सकता है।
  • ताइवान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने के उसके प्रयासों को देखते हुए, भारत और ताइवान के बीच विकसित होते संबंध चीन के लिये एक संवेदनशील मुद्दा बना रहा है।
  • हालाँकि, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन और भारत के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए, चीन आगे बढ़ने से बचने के लिये संयमित रह सकता है।

ताइवान के साथ भारत के संबंध:

  • कूटनीतिक संबंध: 
    • भारत और ताइवान के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं लेकिन वर्ष 1995 से दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की राजधानियों में प्रतिनिधि कार्यालय को स्थापित किया हैं जो वास्तविक दूतावासों के रूप में कार्य करते हैं। भारत ने “एक चीन नीति” का समर्थन किया है।
  • आर्थिक संबंध: 
    • वर्ष 2019 में व्यापार संबंध 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वर्ष 2000 में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास था।
    • वर्ष 2018 में भारत और ताइवान ने द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण, पेट्रोकेमिकल्स, मशीन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा ऑटो पार्ट्स के क्षेत्र में लगभग 200 ताइवानी कंपनियाँ कार्यरत हैं।
    • ताइवान भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनाने पर सहयोग प्रदान करेगा।
  • सांस्कृतिक संबंध: 
    • वर्ष 2010 में उच्च शिक्षा में पारस्परिक डिग्री मान्यता समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद दोनों पक्षों ने शैक्षिक आदान-प्रदान का भी विस्तार किया है।
  • अवसर: 
    • प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग:  
      • अनुसंधान एवं विकास और उद्यमिता में ताइवान की विशेषज्ञता भारत की प्रतिभा संपन्न आबादी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये सहायक हो सकती है, जिससे उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
      • ताइवान विश्व के 60% से अधिक अर्द्धचालक और 90% से अधिक सबसे उन्नत अर्द्धचालकों का उत्पादन करता है। 
    • क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा:  
      • ताइवान और भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का दृष्टिकोण साझा करते हैं, यह समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी पहलों एवं आपदा प्रबंधन पर सहयोग के अवसर प्रदान करता है।
  • चुनौतियाँ: 
    • वन चाइना पाॅलिसी:  
      • वन चाइना नीति का पालन करने के कारण भारत के लिये को ताइवान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों से होने वाले लाभों का दोहन सरल नहीं है।
    • आर्थिक सहयोग में बाधाएँ:  
      • सांस्कृतिक और प्रशासनिक बाधाओं तथा घरेलू उत्पादकों के भारत पर दबाव के बावज़ूद ताइवान ने निवेश में वृद्धि की है।

स्रोत: द हिंदू

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